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Giridih news: खरियोडीह दुर्गा मंदिर में 1965 से हो रही मां दुर्गा की पूजा

Giridih news: यहां हर दिन बलि दी जाती है. पहले पुजारी लेखों सिंह थे, उसके बाद हरिहर सिंह बने. फिलहाल वर्ष 2003 से अब तक पुजारी महेंद्र सिंह हैं. पहले आचार्य पंडित रामरक्षा उपाध्याय थे. उसके बाद भोला पांडे बने. संप्रति गंगाधर उपाध्याय बने.

जमुआ प्रखंड अंतर्गत पलमो पंचायत के पुराने दुर्गा मंदिरों में खरियोडीह दुर्गा मंदिर का नाम बड़ी श्रद्धा से लिया जाता है. पहले जमुआ देवरी के पश्चिमी इलाके में एक मात्र पूजा किसगो में होती थी. वहां से अलग होकर 1965 में खरियोडीह में पूजा शुरू हुई. मानिकबाद व खांडीडीह के लोग भी खरियोडीह से पहले जुड़े थे. बाद में मानिकबाद में अलग पूजा होने लगी. हाल के वर्षों में खांड़ीडीह में अलग से पूजा शुरू हुई. जानकारों की मानें तो 1965 में तत्कालीन मुखिया दृगपाल सिंह के साथ साथ कामदेव सिंह, मगर सिंह, बद्री सिंह आदि ने मिलकर पूजा शुरू की. पुराने मंदिर की जगह नये मंदिर में पूजा 2016 में शुरू की गयी. इसमें मंदिर समिति के गठन में भगवान प्रसाद सिंह अध्यक्ष, मनोज सिंह सचिव एवं संतोष सिंह कोषाध्यक्ष बनाए गए. कमेटी में श्यामपूर्ण सिंह, राकेश सिंह, नंदकिशोर सिंह, अरुण सिंह, अरविंद कुमार सिंह, मनोज दास, बबलू सिंह, प्रभु राय व प्रवीण सिंह वगैरह शामिल हैं. इसके आचार्य गंगाधर उपाध्याय हैं, नवमी, दशमी एवं एकादशी को यहां मेला लगता है. यहां हर दिन बलि दी जाती है. पहले पुजारी लेखों सिंह थे, उसके बाद हरिहर सिंह बने. फिलहाल वर्ष 2003 से अब तक पुजारी महेंद्र सिंह हैं. पहले आचार्य पंडित रामरक्षा उपाध्याय थे. उसके बाद भोला पांडे बने. संप्रति गंगाधर उपाध्याय बने.

तीन अक्तूबर को हो रंगारंग कार्यक्रम

कमेटी के महेंद्र सिंह ने बताया कि हर दिन सुबह पूजा आरती व शाम को स्तुति आरती होती है. नवमी और दशमी के साथ एकादशी को यहां मेला लगता है. कमेटी के सदस्य पंकज सिंह ने कहा कि मेले में शांति व्यवस्था के लिए पूजा कमेटी के अलावे नवयुवक समिति सक्रिय होती है. कहा कि तीन अक्तूबर को भव्य रंगारंग कार्यक्रम का आयोजन किया जायेगा. कहा कि प्रतिमा विसर्जन पास ही के तालाब में की जाती है. कहा कि बिल्व भरनी पूजन के दिन से ही भीड़भाड़ बढ़ने लगती है. खरियोडीह, चमटाडीह, तिलौना, पालमो, सूरजा और सिंहराय डीह के लोग पूजा में आर्थिक और सक्रिय सहयोग करते हैं. यहां कमेटी की ओर से डाक चढ़ाई जाती है. आचार्य पंडित गंगाधर उपाध्याय ने कहा कि यहां की पूजा बहुत ही विधि विधान के साथ संपादित होती है.

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