गिरफ्तार शायर अली ने बताया कि उस्मान अंसारी एवं अन्य लोगों के सहयोग से हथियार बनाने का सामान एवं मशीन दो दिनों पूर्व मुंगेर से लाये गये थे. वह गांडेय स्थित अपने घर में पिस्टल का निर्माण करा रहा था. इससे पहले वे लोग कई स्थानों पर इसी तरह की फैक्ट्री संचालित कर चुके थे. गिरोह की रणनीति साफ थी. कुछ दिन एक जगह रुककर हथियार बनाओ, फिर बिना निशान छोड़े दूसरी जगह खिसक जाओ. एसपी डॉ विमल कुमार ने बताया कि अपराधियों ने पूछताछ में स्वीकार किया कि उनका पूरा नेटवर्क बेहद सावधानी से काम करता था. यह गिरोह किसी भी जगह लंबे समय तक ठिकाना नहीं बनाता था. एसपी के मुताबिक, अपराधी गांव और कस्बों में ऐसा घर या कमरा चुनते थे, जहां रात में आवाजें ज्यादा ध्यान न खींचे. वहां 3 से 5 दिन के भीतर हथियार बनाकर तैयार कर लेते थे. उसके बाद वे पूरी फैक्ट्री को कुछ ही घंटों में समेटकर दूसरी लोकेशन पर शिफ्ट हो जाते थे. गिरोह के सदस्य इतने प्रशिक्षित थे कि मशीनों और उपकरणों को इस तरह व्यवस्थित रखते थे कि छापेमारी में भी पूरा सेटअप समझना मुश्किल हो. जगह बदलने का मकसद सिर्फ एक था पुलिस की पकड़ से बचना और इलाके में किसी तरह की भनक न लगने देना. एसपी ने कहा कि गिरोह की यह हिट एंड रन रणनीति ही वजह थी कि वे कई महीनों से पुलिस की पकड़ से बचते आ रहे थे. लेकिन इस बार गुप्त सूचना इतनी पुख्ता थी कि पुलिस ने उन्हें मौके पर ही धर दबोचा. उन्होंने बताया कि उस्मान अंसारी इस पूरी प्रणाली का मास्टरमाइंड है. उसकी गिरफ्तारी के बाद पूरे नेटवर्क का और खुलासा होने की उम्मीद है. एसडीपीओ जीतवाहन उरांव ने किया विशेष टीम का नेतृत्व एसपी डॉ विमल कुमार को जैसे ही गुप्त सूचना मिली कि गांडेय थाना क्षेत्र के महेशमरवा गांव में संदिग्ध गतिविधि बढ़ी है और वहां अवैध हथियारों का निर्माण हो रहा है, उन्होंने त्वरित कार्रवाई का आदेश दिया. उन्होंने सदर एसडीपीओ जीतवाहन उरांव के नेतृत्व में एक विशेष छापेमारी दल का गठन किया. इस टीम में गांडेय थाना प्रभारी आनंद प्रकाश सिंह, अहिल्यापुर थाना प्रभारी गुलाम गौस, ताराटांड़ थाना प्रभारी सुशांत चिरंजीवी, एसआइ मणिलाल सिंह, एसआइ रोशन कुमार, एएसआइ देव आनंद मारला, महिला हवलदार सुमित्रा देवी, तकनीकी शाखा और थाना रिजर्व गार्ड एवं चौकीदार शामिल थे. सूचना के अनुसार, टीम शाम में ही महेशमरवा गांव पहुंच गयी थी. छापेमारी के दौरान जब पुलिस ने शायर अली के घर की तलाशी ली, तो शुरू में कुछ खास नहीं मिला. लेकिन घर के भीतर एक संदिग्ध फर्श दिखायी दिया. जांच करने पर पता चला कि इस फर्श के नीचे एक अंडरग्राउंड कमरा बनाया गया था, जिसे बाहर से देख पाना लगभग असंभव था. टीम जैसे ही नीचे उतरी, वहां का दृश्य देखकर पुलिसकर्मी भी दंग रह गये. कमरे के भीतर मौजूद अपराधी उस वक्त पिस्टल तैयार कर रहे थे.
कई मामलों में पहले से वांछित थे गिरोह के सदस्य
गिरफ्तार अपराधियों की जब पुलिस ने आपराधिक पृष्ठभूमि की जांच की, तो कई अहम जानकारियां सामने आयीं. इनमें से तीन आरोपी पहले से ही विभिन्न थानों में दर्ज गंभीर मामलों में वांछित पाये गये. मोहम्मद चुन्ना के खिलाफ गौरीचक थाना में कांड संख्या 311/23 दर्ज है. यह मामला अवैध गतिविधियों और संगठित अपराध से जुड़ा है. मोहम्मद कमरुद्दीन उर्फ सदना के खिलाफ मशरक थाना में कांड संख्या 11/23 दर्ज है. इस कांड में भी अवैध हथियार और संगठित अपराध में उसकी संलिप्तता सामने आ चुकी है. मोहम्मद शमीर मल्लिक उर्फ सद्दाम भी मशरक थाना कांड संख्या 11/23 में आरोपी है. इन मामलों की पुष्टि के बाद पुलिस ने बताया कि यह गिरोह न सिर्फ हथियार निर्माण में शामिल था, बल्कि इनके तार कई पुराने मामलों और अंतरराज्यीय अपराध नेटवर्क से भी जुड़े हुए हैं.भारी मात्रा में हथियार और उपकरण बरामद
बरामद सामग्री में देसी पिस्टल छह, मैगजीन 11, 7.65 एमएम बोर की जिंदा गोली पांच, अर्धनिर्मित पिस्टल 12, पिस्टल की बैरल 13, पिस्टल का स्लाइड 12, लोहा का डाइस चार, बेस मिलिंग मशीन छह, मैगजीन बनाने का डाइस दो, हैंड ड्रिल मशीन एक, हथौड़ी तीन, स्प्रिंग एक, सनमाइका प्लेट (पिस्टल बट बनाने में प्रयुक्त) 12, लोहा की छड़ (स्लाइडिंग छड़ बनाने में प्रयुक्त) आठ, लोहा की रेती 25, गोल्डन रंग का लोहा प्लेट दो, साइकिल का यू आकार का लोहा फ्रेम (मैगजीन बनाने में प्रयुक्त) 15, प्लास तीन, पेचकस चार, हेक्सा आरी ब्लेड लगा हुआ चार, लोहा का छेनी जैसा औजार 18, अलग-अलग आकार का लोहा प्लेट चार, यू आकार का लोहा क्लैंप चार, हेक्सा ब्लेड 10, स्क्रू करीब 250 ग्राम, मैगजीन बनाने में प्रयुक्त लोहा का स्प्रिंग 40, स्क्रू 250 ग्राम (अलग से), मोबाइल छह, मोटरसाइकिल जेएच10वी5330 शामिल हैं.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

