हजारों की संख्या में पारंपरिक वेशभूषा में सजे-धजे आदिवासी पुरुष और महिलाएं ढोल-नगाड़े, मांदर और पारंपरिक झंडों के साथ खोरीमहुआ चौक से अनुमंडल मुख्यालय तक पैदल मार्च करते हुए पहुंचे. इस दौरान आयोजित सभा को संबोधित करते हुए वक्ताओं ने कहा कि आरक्षण के बंटवारे के नाम पर आदिवासियों को विभाजित करने की साजिश चल रही है.
चारों तरफ आक्रोश भरे नारों की गूंज
नुनूलाल मरांडी समेत वक्ताओं ने कहा कि आदिवासी हकों पर हमला किसी भी कीमत पर सफल नहीं होने दिया जायेगा. यदि सरकार ने जल्द आदिवासी समुदाय की चिंता पर गंभीरता नहीं दिखाई, तो आनेवाले दिनों में आंदोलन को और व्यापक रूप दिया जायेगा. यह कहना था. इस दौरान आदिवासी एकता जिंदाबाद, हमारा हक हमें दो, आरक्षण पर हमला बर्दाश्त नहीं … जैसे आक्रोश भरे नारों से इलाका गूंज रहा था. हजारों की संख्या में पारंपरिक वेशभूषा में सजे-धजे आदिवासी पुरुष और महिलाएं ढोल-नगाड़े, मांदर और पारंपरिक झंडों के साथ खोरीमहुआ चौक से अनुमंडल मुख्यालय तक पैदल मार्च करते हुए पहुंचे.प्रमुख मांगें
12 सूत्री मांगों में कुर्मी, कुड़मी को आदिवासी सूची में शामिल नहीं करें, सरना धर्म कोड अविलंब लागू करें, सभी आदिवासी गांवों के पूजा स्थलों को चिह्नित कर घेराबंदी की अविलंब स्वीकृति, पेसा एक्ट लागू करने, सीएनटी-एसपीटी, एससी-एसटी एक्ट का सख्ती से अनुपालन आदि.
ये थे उपस्थित
अंत में नुनूलाल मरांडी व सुकेश हेंब्रम के नेतृत्व में प्रतिनिधिमंडल ने कार्यपालक दंडाधिकारी अभिषेक कुमार को राष्ट्रपति के नाम संबोधित 12 सूत्री ज्ञापन सौंपा. कार्यक्रम के सफल आयोजन में स्थानीय युवा समितियों और महिला समूहों की महत्वपूर्ण भूमिका रही. सभा का संचालन ब्रह्मदेव टुडू ने किया. मौके पर सुरेश टुडू, किशोर हंसदा, विजय मुर्मू, सुंदर मुर्मू, दिनेश मुर्मू, मनोज मुर्मू, दिलीप मरांडी, प्रेमराज हेंब्रम, सुनील हांसदा आदि लोगों की उपस्थिति रही.
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