बता दें कि विजय कुमार महतो हुंडई इंजीनियरिंग एंड कंस्ट्रक्शन कंपनी में पिछले 22 महीने से सउदी अरब में कार्यरत था. अपराधियों और पुलिस के मुठभेड़ में सउदी अरब में ही 15 अक्तूबर को एक गोली विजय महतो को उस वक्त लगी जब वह उस इलाके से गुजर रहा था. इसके बाद गंभीर हालत में उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया था जहां 24 अक्तूबर को उसने दम तोड़ दिया. मौत की खबर तो परिजनों को मिल गयी, लेकिन उसके शव के लिए अब तक परिजनों को इंतजार है. पत्नी बसंती देवी कहती है कि कोई खोज खबर लेने वाला तक नहीं है. इतने दिनों बाद भी वह अपने पति का अंतिम दर्शन तक नहीं कर सकी. बॉडी लाने का कोई प्रयास नहीं किया जा रहा है. जिस कंपनी में उसका पति काम करता था, उस कंपनी का भी कोई अधिकारी मिलने तक नहीं आया. मुआवजा की कोई बात तक नहीं हो रही है. सरकार के स्तर से भी अब तक ना ही कोई प्रयास किया गया है और ना ही कोई भरोसा मिला है. शांति कहती है कि 27 वर्ष के विजय की मौत के बाद घर में लोगों के समक्ष जीवन यापन की समस्या उत्पन्न हो गयी है. पति के साथ-साथ उसका भैंसुर भी सउदी अरब में ही कमाने गये हुये हैं. इन्हों दोनों के भरोसे घर के लोगों का भरण-पोषण होता है.
माता-पिता व पत्नी का हालत खराब
दुधपनिया में रह रहे विजय के माता-पिता दरवाजे में होने वाले हर दस्तक से चौंक जाते हैं. उन्हें लगता है कि उनके बेटे के शव के आने की सूचना देने कोई आया है. पिता सूर्यनारायण महतो का कहना है कि जब स्थानीय स्तर पर रोजगार नहीं मिला तो उनका जवान बेटा विदेश कमाने के लिए चला गया. अब जब विदेश में उसकी मौत हो गयी है तो शव लाने के लिए न ही सरकार पहल कर रही है और न ही कंपनी वाले. कहते हैं कि दोनों बेटे के कंधे पर ही पूरे घर का आर्थिक बोझ था. विजय का दोनों बेटा अभी बहुत छोटा है. उसका लालन-पालन करना बड़ी चुनौती है. बताया कि पूरे घर के लोगों को विजय के शव का इंतजार है. शव नहीं आने से दाह संस्कार कार्यक्रम तक नहीं हो सका है. उनकी और उनके परिवार के सभी लोगों की ईच्छा है कि वह अपने बेटे का अंतिम दर्शन कर सके.
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