इस दौरान बीते 15 दिनों से चल रहे सहज पाठ का समापन हुआ. स्थानीय रागी जत्था भाई सतनाम सिंह व उनकी टीम ने कई शबद कीर्तन प्रस्तुत किये. धन-धन गुरु रामदास गुर जिन सिरिया तिन सांवरिया जैसे कई शबद कीर्तन से सात संगत निहाल हो गयी.
अमृतसर में की थी जमीन की व्यवस्था
प्रकाश पर्व को लेकर गुरुद्वारा श्री गुरु सिंह सभा गिरिडीह के प्रधान डाॅ गुणवंत सिंह मोंगिया ने बताया कि गुरु रामदास जी महाराज का जीवन सिख समाज के प्रति पूरी तरह से समर्पित रहा. वे सिख समाज के प्रचार में जुटे रहे. कहा कि उन्होंने अमृतसर में जमीन की व्यवस्था कराकर स्वर्ण मंदिर का निर्माण कराया. सिख समाज के विवाह के नियम भी उन्होंने ही तय किये. डॉ मोंगिया ने बताया कि रामदास जी का जन्म पाकिस्तान के लाहौर में संवत 24 सितंबर 1534 को हुआ था. कहा कि वे जेठा नाम से भी जाने जाते हैं. गुरुद्वारे में अरदास के बाद आयोजित लंगर में सिख समाज के अलावे अन्य समुदाय के लोगों ने भी शिरकत की.
ये थे मौजूद
मौके पर गुरुद्वारा श्री गुरु सिंह सभा के पूर्व प्रधान अमरजीत सिंह सलूजा, सचिव नरेंद्र सिंह सलूजा उर्फ सम्मी, उपाध्यक्ष चरणजीत सिंह सलूजा, पूर्व प्रधान देवेंद्र सिंह, जोरावर सिंह सलूजा, राजेंद्र सिंह, कुंवरजीत सिंह, गुरदीप सिंह बग्गा, ऋषि सलूजा, त्रिलोचन सिंह सलूजा, अजींदर सिंह उर्फ राजू, गुरविंदर सिंह सलूजा, राजेंद्र सिंह बग्गा, नवजोत सिंह, जाॅनी सिंह, गुरभेज सिंह कालरा, मोहनी सिंह, अंकित सिंह, जगजीत सिंह बग्गा समेत समाज के काफी संख्या में महिला पुरुष मौजूद थे.
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