पंचायत निवासी चिरंजीव कुमार सिन्हा की शिकायत पर जब उपायुक्त ने जांच करायी, तो मामला का पता चला. डुमरी बीडीओ ने जांच में चार लाभुकों को अयोग्य पाया. ये लाभुक पहले से ही सुखी-संपन्न हैं. कोई जेसीबी का मालिक है, तो किसी के पास दोमंजिला पक्का मकान है. जैतून खातून जेसीबी की मालकिन हैं, वहीं, शबीना खातून, कुरैशा खातून व शफुलन खातून का पक्का मकान है.
तत्कालीन बीडीओ ने दिया था रिकवरी का आदेश
मामले में तत्कालीन बीडीओ ने पांच जून 2025 को पत्र जारी कर सभी चारों लाभुकों से राशि वसूली का आदेश दिया था. गंभीर बात यह है कि रिकवरी आदेश के बावजूद दो लाभुकों को दोबारा अग्रिम राशि का भुगतान कर दिया गया. यह मामला प्रशासनिक आदेश की सीधी अवहेलना और लापरवाही है. गड़बड़ी के बारे में पूछे जाने पर पंचायत के मुखिया नूरुद्दीन अंसारी का कहना है कि उन पर लगाये गये आरोप गलत हैं.
जरूरतमंद लगा रहे जनप्रतिनिधि व अधिकारी-कर्मचारी के यहां चक्कर
पंचायत में कई ऐसे गरीब, आदिवासी और दलित परिवार हैं, जिनका नाम सूची में ऊपर है, लेकिन उन्हें आज तक आवास योजना का लाभ नहीं मिला. कई लाभुकों का कहना है कि वे कई बार पंचायत कार्यालय का चक्कर काट चुके हैं. उनको कहा गया कि पैसा नहीं है, इसलिए आवास नहीं मिलेगा. मामले के शिकायतकर्ता चिरंजीव कुमार सिन्हा ने उपायुक्त, डुमरी के अनुमंडल पदाधिकारी और स्थानीय विधायक से पूरे मामले की उच्चस्तरीय जांच कराने और दोषी मुखिया व पंचायत सचिव पर कानूनी कार्रवाई की मांग की है. उन्होंने वर्ष 2023-24 और 2024-25 में जारी अबुआ आवास के लाभुकों की जांच कराने की मांग भी की है. योजना को लेकर सरकारी दावे जो भी हों, जमीनी सच्चाई कुछ और ही है. जरूरतमंद आज भी खुले आसमान के नीचे हैं, जबकि जेसीबी और आलीशान मकान वाले सरकारी योजना का लाभ उठा रहे हैं.
रिकवरी का दिया गया है आदेश : प्रभारी बीडीओ :
प्रभारी बीडीओ शशिभूषण वर्मा ने कहा कि मामला संज्ञान में आया है. रिकवरी के लिए दोबारा आदेश निकाल दिया गया है. जल्द से जल्द राशि की रिकवरी की जायेगी.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

