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Giridih News :ग्रामीण क्षेत्रों में सुरजाही पर्व की धूम

Giridih News :मेदनीटांड़ गांव के चचघरा टोला में सुरजाही पर्व की धूम रही. रविवार को लोगों ने अपने-अपने आंगन में अरवा चावल, दूध व गुड़ से बने कसेरा का दूसरा अर्घ भगवान भास्कर को अर्पित किया. इसके पहले शनिवार की शाम लोगों ने सफेद बकरे के साथ भगवान सूर्य को लोगों ने पहला अर्घ दिया. रविवार को बकरों की बलि दी गयी.

झारखंड में सूर्य की आराधना का यह पारंपरिक पर्व पांच साल में एक बार मनाया जाता है. इसे अगहन या माघ में मनाया जाता है. किसी मनोकामना के पूरे होने पर यह पर्व मनाया जाता है. इस पूजा में घर के आंगन में सूर्य भगवान की आराधना की जाती है. यह पर्व पहले दिन नहाय-खाय से शुरू होता है. दूसरे दिन उपवास रखकर भगवान सूर्य को अर्घ दिया जाता है. यह पूजा परिवार की खुशहाली और वंश वृद्धि के लिए की जाती है. इसमें छठ की तरह ही पवित्रता का विशेष ध्यान रखा जाता है. इसमें पूजा करनेवाले सात्विक भोजन करते हैं.

क्यों दी जाती है सफेद बकरे की बलि

शास्त्री मदन पांडेय बताते हैं कि सूर्य भगवान के सारथी वरुण देवता को प्रसन्न करने के लिए सफेद बकरे की बलि दी जाती है. सूर्य भगवान वैष्णवी हैं. वे केवल अर्घ ही स्वीकार करते हैं. अरवा चावल, गुड़ व दूध से बननेवाले केसरा प्रसाद उन्हें अधिक प्रिय हैं. सूर्य से सात रंगों की किरणें निकलती हैं, जिन्हें मिला देने पर श्वेत प्रकाश बनता है. सूर्य को श्वेत रंग पसंद है, इसलिए सफेद रंग के बकरे की बलि देने की इसमें परंपरा है.

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