करोड़ों रुपये की लागत से यह सड़क बन रही. ट्रैफिक जाम की समस्या से राहत की जगह स्थिति और बदतर होते जा रही है. सड़क पर हर मोड़, कट और चौक-चौराहे पर अव्यवस्था का आलम है. कहीं गड्ढे उभर आये हैं, तो कहीं मोड़ इतने खतरनाक हैं कि जरा सी चूक बड़ी दुर्घटना का कारण बन सकती है. इन सबके बीच सबसे ज्यादा परेशान आम जनता है, जो रोजमर्रा के सफर में जाम, धूल, खतरे और देरी को झेलने के लिए मजबूर है. लोग कहते हैं कि जिस सड़क से राहत मिलने की उम्मीद थी, वहीं सड़क अब चिंता और डर का नया कारण बन गयी है. फिलहाल फोर लेन सड़क का निर्माण कार्य अधर में लटका है और प्रशासन की निगरानी पर भी सवाल उठ रहे हैं. लोग उम्मीद कर रहे हैं कि संबंधित विभाग जल्द कार्रवाई कर निर्माण को व्यवस्थित करे ताकि गिरिडीह की यह महत्वपूर्ण परियोजना अपने असली उद्देश्य को पूरा कर सके.
हर मोड़ पर मंडरा रहा हादसे का खतरा
गिरिडीह-पचंबा फोरलेन सड़क का निर्माण अधूरी संरचना लोगों के लिए लगातार खतरा बनती जा रही है. खासकर चौक-चौराहों पर डिवाइडर की कमी सबसे बड़ी समस्या बनकर सामने आयी है. जहां भी फोरलेन शहर से होकर गुजरती है, वहां कई स्थानों पर सड़क के बीच डिवाइडर का निर्माण ही नहीं किया गया है. ऐसे में बाइक, कार, स्कूटी या भारी वाहन अचानक सड़क पार कर जाता है. इससे हर पल किसी बड़े हादसे की आशंका बनी रहती है. स्थानीय लोग बताते हैं कि चौक-चौराहे पर डिवाइडर नहीं होने के वजह से सड़क कई बार जानलेवा साबित हो चुकी है. ट्रैफिक का दबाव अधिक होने के कारण कई बार सामने से आ रहे वाहन को देखने का मौका भी नहीं मिलता और टक्कर की स्थिति बन जाती है. सड़क का चौड़ीकरण हुआ है, लेकिन सुरक्षा मानकों की अनदेखी लोगों की जान पर भारी पड़ रही है. अन्य जिलों में फोरलेन सड़कों पर हर चौक-चौराहे पर मजबूत डिवाइडर दिया गया है, जिससे लोग निर्धारित जगहों से ही सड़क पार करते हैं. वहां कुछ दूरी तय करनी पड़ती है, लेकिन जीवन सुरक्षित रहता है. गिरिडीह में ठीक उलट स्थिति देखने को मिल रही है. यहां वाहन चालक शॉर्टकट के चक्कर में सड़क पर सीधे घुस जाते हैं और बिना किसी रोक-टोक के दूसरी ओर निकल जाते हैं. लोगों का कहना है कि यदि हर चौराहे पर डिवाइडर का निर्माण किया जाये तो राहत मिलेगी.
बेतरतीब नाली निर्माण से बढ़ी लोगों की चिंता
बता दें कि फोर लेन सड़क का निर्माण कार्य अब लगभग समाप्ति की ओर है, लेकिन काम की गुणवत्ता पर शुरुआत से ही सवाल उठ रहे हैं. निर्माण एजेंसी द्वारा सड़क को जैसे-तैसे पूरा करने की जल्दबाजी साफ दिखाई देती है. कई स्थानों पर नालियों का निर्माण टेढ़ा-मेढ़ा कर दिया गया है, जिससे पानी निकासी ठीक से नहीं होती है. इससे समस्या बढ़ सकती है. खासकर बरसात में इन नालियों का बुरा हाल होने की आशंका पहले से जतायी जा रही है. वहीं, पिचिंग का काम भी मानकों के मुताबिक नहीं किया जा रहा है. पिचिंग से पहले धूल को साफ नहीं की जा रही है. स्थानीय लोग कहते हैं कि ऐसी स्थिति में सड़क खराब होने में ज्यादा समय नहीं लगेगा. करोड़ों की लागत से बन रही यह सड़क टिकेगी कितने दिन यह बड़ा सवाल बन गया है.
धूल उड़ने से लोग परेशान
धूल उड़ने से राहगीरों, दुकानदारों और स्थानीय निवासियों का जीना मुहाल हो गया है. लोग लगातार खांसी, एलर्जी और रुक-रुककर चलने वाले ट्रैफिक से त्रस्त हैं. प्रतिदिन आवागमन करने वालों के लिए यह फोर लेन सड़क एक राहत की जगह अब परेशानी का नया केंद्र बन चुकी है.
सड़क निर्माण लगभग पूरी हो चुकी है : जेई
संबंधित विभाग के जेई आफताब आलम ने कहा कि सड़क निर्माण कार्य पूरा हो चुका है. इसलिए धूल उड़ने की बात गलत है. नालियों की स्थिति पर कहा कि सड़क के किनारे किसी का घर थोड़ा आगे, तो किसी का पीछे है. इसलिए नालियां टेढ़ी-मेढ़ी बनी हैं. सड़क दुर्घटनाओं पर कहा कि सड़क पर बनाया गया डिवाइडर ठीक है, लोग खुद संभलकर वाहन चलायें.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

