चिकित्सकीय परामर्श से लेकर नियमित स्वास्थ्य सेवाओं तक पर इसका गंभीर असर पड़ रहा है. कई पंचायतों में स्थित केंद्र तो नियमित रूप से खुल भी नहीं पा रहे हैं, जिससे ग्रामीणों में नाराजगी बढ़ती जा रही है. स्थानीय लोगों का कहना है कि आयुष्मान आरोग्य मंदिर स्थापित करने का उद्देश्य था कि ग्रामीणों को प्राथमिक स्वास्थ्य सुविधाएं उनके आसपास ही उपलब्ध हो सकें, छोटी-मोटी बीमारी के लिए उन्हें अस्पतालों के चक्कर न लगाने पड़ें, लेकिन सीएचओ के स्थानांतरण के बाद से इन केंद्रों की गतिविधियां लगभग ठप हैं. एमपीडब्ल्यू की भूमिका सीमित होती है, जबकि डॉक्टर स्तर की जिम्मेदारी सीएचओ ही संभालते हैं. ऐसे में मरीजों को सही परामर्श, आवश्यक दवाई, टेस्ट या अन्य स्वास्थ्य सेवाएं नहीं मिल पा रही हैं.
कई केंद्र सप्ताह में एक-दो दिन खुलते हैं
ग्रामीणों ने बताया कि कई केंद्र सुबह से शाम तक बंद रहते हैं, जबकि कुछ सप्ताह में केवल दो-तीन दिन ही खुलते हैं. इस अव्यवस्था के कारण उन्हें मजबूरी में डुमरी रेफरल अस्पताल जाना पड़ रहा है. अस्पताल में पहले से ही मरीजों की भारी भीड़ रहती है. ऐसे में ग्रामीणों की बढ़ती संख्या ने व्यवस्थाओं को और जटिल कर दिया है. चैनपुर, अमरा, नागलो, पोरदाग, लक्ष्मणटुंडा, भरखड़ और नगड़ी स्थित सातों आयुष्मान आरोग्य मंदिर पिछले छह महीने से लेकर एक वर्ष तक सुचारू रूप से संचालित हो रहे थे, लेकिन सभी केंद्रों से सीएचओ के तबादले के बाद व्यवस्था चरमरा गयी है. ग्रामीणों ने स्वास्थ्य विभाग से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है. उनका कहना है कि यदि जल्द सीएचओ की तैनाती नहीं की गयी, तो परेशानी और बढ़ सकती है.क्या कहते हैं रेफरल अस्पताल के चिकित्सा पदाधिकारी
डुमरी रेफरल अस्पताल के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ राजेश कुमार ने बताया कि सीएचओ के तबादले के बाद थोड़ी परेशानी जरूर हुई है. नये सीएचओ के आते ही सभी आयुष्मान आरोग्य मंदिरों में स्वास्थ्य सेवाएं फिर से सुचारु रूप से बहाल कर दी जायेंगी. जनता को पुनः सुविधा प्राप्त होगी.
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