कार्यक्रम का उद्घाटन मुख्य अतिथि शालिनी बैशिख्यार, प्रांत संयोजिका रंजना सिंह, सह संयोजिका किरण राय, जिला संयोजिका स्वाति सिन्हा, विभाग प्रमुख ब्रजेश सिंह एवं प्रधानाचार्य आनंद कमल ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्ज्वलित कर किया. मंच संचालन शालिनी राज ने किया, जबकि अतिथि परिचय निशा श्रेष्ठ और धन्यवाद ज्ञापन सुजाता प्रसाद ने दिया. इस दौरान बहनों ने हम ही मात्र शक्ति हैं शीर्षक से मधुर गीत प्रस्तुत कर सभी का मन मोह लिया.
प्रश्नोत्तरी कार्यक्रम भी हुआ आयोजित
कार्यशाला में उपस्थित मातृशक्ति के बीच प्रश्नोत्तरी कार्यक्रम भी हुआ. विषय प्रवेश कराते हुए विभाग प्रमुख बृजेश सिंह ने कहा कि देश और विश्व की वर्तमान परिस्थितियों और चुनौतियों का समाधान माताओं की भूमिका से ही संभव है. भारतीय महिला में निहित नैसर्गिक गुण, संयुक्त परिवार परंपरा, आहार-विहार और पर्यावरण संरक्षण जैसे व्यवहारिक आचरण समाज के लिए मार्गदर्शक हैं. उन्होंने बताया कि विद्या भारती द्वारा पूरे देश में 15,000 सप्तशती संगम की योजना बनाई गई है. प्रांत संयोजिका रंजना सिंह ने कहा कि स्त्री की शक्तियां सौम्य और सूचना प्रधान होती हैं जिससे वह किसी भी परिस्थिति को अपनी इच्छानुसार मोड़ सकती है. सह संयोजिका किरण राय ने कहा कि एक बेटी शिक्षित होती है तो दो परिवार शिक्षित होते हैं. माताओं को अपनी शक्ति का आभास कराना ही इस कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य है. मुख्य अतिथि शालिनी बैशिख्यार ने कहा कि महिलाएं किसी भी समाज का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा होती हैं. आज के दौर में पाश्चात्य संस्कृति का प्रभाव तेजी से बढ़ रहा है. ऐसे में माताओं का दायित्व है कि वे अपने बच्चों में भारतीय संस्कृति का संस्कार डालें. पहले स्वयं का विकास करें और फिर परिवार, समाज और राष्ट्र के विकास में योगदान दें. उन्होंने संघ के पंच प्राण नागरिक कर्तव्य, सामाजिक समरसता, पर्यावरण संरक्षण, कुटुंब प्रबोधन और स्वदेशी को घर-घर तक पहुंचाने की जिम्मेदारी माताओं को उठाने की अपील की. कार्यशाला में 70 दीदीयों के साथ-साथ प्रधानाचार्य जीतन पंडित, प्रमोद कुमार गुप्ता, उपेंद्र कुमार राय, अर्जुन प्रसाद आर्य, अशोक कुमार मंडल, अरुण कुमार एवं पुरुषोत्तम कुमार सहित कई लोग उपस्थित थे.कार्यशाला में उपस्थित मातृशक्ति के बीच प्रश्नोत्तरी कार्यक्रम भी हुआ. विषय प्रवेश कराते हुए विभाग प्रमुख बृजेश सिंह ने कहा कि देश और विश्व की वर्तमान परिस्थितियों और चुनौतियों का समाधान माताओं की भूमिका से ही संभव है. भारतीय महिला में निहित नैसर्गिक गुण, संयुक्त परिवार परंपरा, आहार-विहार और पर्यावरण संरक्षण जैसे व्यवहारिक आचरण समाज के लिए मार्गदर्शक हैं. उन्होंने बताया कि विद्या भारती द्वारा पूरे देश में 15,000 सप्तशती संगम की योजना बनाई गई है. प्रांत संयोजिका रंजना सिंह ने कहा कि स्त्री की शक्तियां सौम्य और सूचना प्रधान होती हैं जिससे वह किसी भी परिस्थिति को अपनी इच्छानुसार मोड़ सकती है. सह संयोजिका किरण राय ने कहा कि एक बेटी शिक्षित होती है तो दो परिवार शिक्षित होते हैं. माताओं को अपनी शक्ति का आभास कराना ही इस कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य है. मुख्य अतिथि शालिनी बैशिख्यार ने कहा कि महिलाएं किसी भी समाज का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा होती हैं. आज के दौर में पाश्चात्य संस्कृति का प्रभाव तेजी से बढ़ रहा है. ऐसे में माताओं का दायित्व है कि वे अपने बच्चों में भारतीय संस्कृति का संस्कार डालें. पहले स्वयं का विकास करें और फिर परिवार, समाज और राष्ट्र के विकास में योगदान दें. उन्होंने संघ के पंच प्राण नागरिक कर्तव्य, सामाजिक समरसता, पर्यावरण संरक्षण, कुटुंब प्रबोधन और स्वदेशी को घर-घर तक पहुंचाने की जिम्मेदारी माताओं को उठाने की अपील की. कार्यशाला में 70 दीदीयों के साथ-साथ प्रधानाचार्य जीतन पंडित, प्रमोद कुमार गुप्ता, उपेंद्र कुमार राय, अर्जुन प्रसाद आर्य, अशोक कुमार मंडल, अरुण कुमार एवं पुरुषोत्तम कुमार सहित कई लोग उपस्थित थे.
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