इस दौरान गिरिडीह में गुरुवार को बाल विवाह मुक्त भारत अभियान चलाया गया. श्री शक्ति ने जिला प्रशासन के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि लगातार समन्वय से 2030 से पहले ही देश को इस अपराध से मुक्त बनाया जा सकता है. संस्था के बाल अधिकार एक्टिविस्ट उज्जवल मिश्रा ने बताया कि इस अभियान की रणनीति स्कूलों, धार्मिक स्थलों, विवाह सेवा प्रदाताओं और पंचायतों पर केंद्रित होगी ताकि बाल विवाह के फलने-फूलने वाले पूरे परिवेश को ध्वस्त किया जा सके.
आठ मार्च को समाप्त होगा अभियान
समुदाय स्तरीय कर्मी रूपा कुमारी के अनुसार, तीन चरणों में विभाजित यह अभियान 8 मार्च 2026 (अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस) को समाप्त होगा. पहले चरण में शैक्षणिक संस्थानों पर, दूसरे में विवाह संपन्न कराने वाले धार्मिक स्थलों और सेवा प्रदाताओं पर और अंतिम चरण में पंचायतों व सामुदायिक भागीदारी को मजबूत करने पर ध्यान दिया जाएगा. समुदाय कर्मी उत्तम कुमार सिंह ने महत्वपूर्ण घोषणा करते हुए कहा कि कार्ययोजना के तहत उन पंचायत प्रतिनिधियों को सम्मानित किया जाएगा जो अपनी पंचायतों को बाल विवाह मुक्त घोषित करेंगे.यह पहल स्थानीय नेतृत्व को प्रेरित करने का काम करेगी. बनवासी विकास आश्रम का यह कदम गिरिडीह में बाल विवाह उन्मूलन के प्रयासों को नयी ऊर्जा देगा.
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