अब तक इसका कोई ठोस कारण स्पष्ट नहीं हो पाया है. धनवार प्रखंड अंतर्गत घोड़थंभा ओपी के दयालपुर, भिंगोडीह, अरखांगो, कुबरी, गुंडरी आदि गांवों में आम जनमानस प्रशासन की उदासीनता पर सवाल उठाते हुए स्वयं ही सतर्कता बरत रहे हैं. कई जगहों पर लोगों ने बच्चों और पशुओं को मृत पक्षियों के संपर्क में आने से रोकने के लिए जागरूकता भी शुरू की है. क्योंकि यदि यह सिलसिला यूं ही जारी रहा तो इसका दुष्प्रभाव केवल पक्षियों तक सीमित न रहकर पूरे पारिस्थितिकी तंत्र पर पड़ सकता है.
मुर्गियों में भी फैल रहा है संक्रमण
ओपी क्षेत्र के दयालपुर के शाहनवाज हुसैन, अरखांगो के प्रवीण कुमार, कोलंबिया पब्लिक स्कूल के अंबिका वर्मा आदि ने बताया कि उनके घरों में बीते करीब बीस दिन पूर्व से अचानक कबूतर गिरने लगे और कुछ देर छटपटाने के बाद मरते जा रहे हैं तथा अब तो मुर्गियों में भी यह संक्रमण देखा जा रहा है. लोगों का कहना है कि पहले कभी इस तरह की स्थिति देखने को नहीं मिली थी. अचानक पक्षियों का लगातार मरना न केवल पर्यावरणीय संतुलन के लिए खतरनाक संकेत है, बल्कि यह आम लोगों में भी चिंता का विषय बन गया है. कहा कि इस मामले में प्रशासन और वन विभाग की चुप्पी ने पशु-पक्षी प्रेमियों को और अधिक आक्रोशित कर दिया है.
मृत पक्षियों का वैज्ञानिक परीक्षण कराने की मांगअखंड हिन्दू एकता मंच के अध्यक्ष प्रदीप योगी, युवा जागरण मंच के अध्यक्ष नरेश राय, सत्य सनातन सेवा समिति के श्रीकांत यादव आदि सामाजिक संगठनों और पर्यावरण प्रेमियों ने प्रशासन से मांग की है कि मृत पक्षियों का वैज्ञानिक परीक्षण कराया जाये, ताकि मौत के पीछे की असली वजह सामने आये. कहा कि यह सिलसिला करीब एक माह से चल रहा है. ग्रामीणों ने जांच पड़ताल की मांग की थी, परंतु अबतक प्रशासनिक महकमे की नींद नहीं खुली है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

