जैन धर्मावलंबियों में पदचिह्न लाये जाने के बाद खुशी की लहर है. पंकज भैया के नेतृत्व में आचार्य श्री के पदचिह्न को माथे पर रखकर शोभायात्रा निकाली गयी. शोभा यात्रा में प्रदीप जैन, अशोक जैन, राजेश जैन (सरिया), सुनील जैन, अभय जैन, सोम जैन, बबलू जैन, सीमा जैन, रश्मि जैन, अनीता जैन, मयंक जिनेश जैन, प्रिंस जैन, पारस जैन, उदित जैन, सुषमा जैन, विनोद जैन, विवेक जैन, दीपक जैन, आतिश जैन, रवींद्र जैन आदि शामिल हुए. बैंड बाजे के साथ विद्यासागर जी महाराज के पदचिह्न की अगुवाई की गयी.
डोंगरगढ़ में प्राप्त किया निर्वाण
मालूम रहे कि आचार्य श्री का जन्म 10 अक्तूबर 1946 को हुआ था. अपने मुनि जीवन काल में उन्होंने राष्ट्रीय संत का स्थान पाया. 18 फरवरी 2024 को संलेखना द्वारा इस महान संत ने डोंगरगढ़ में निर्वाण प्राप्त किया. उनका एक महत्वपूर्ण संदेश था कि आप दूसरों के साथ वैसा ही व्यवहार करो जैसा व्यवहार आप अपने लिए चाहते हो. वाणी और कर्म में समानता रखना मानव धर्म है.
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