बैज्ञानिकों ने बीजोपचार के कई तरीके किसानों से साझा किये. कहा कि नवाचार को अपनाने से ही कृषकों की आय बढ़ेगी. अन्य कृषि वैज्ञानिकों ने फसल सुरक्षा, फसलों को रोगों से बचाने, मृदा संरक्षण के लिए आवश्यक उपायों पर चर्चा की. इसमें मुर्गी, बकरी, गाय, भेड़ व शूकर पालन के एहतियाती उपायों पर चर्चा की गई. फॉर्म हाऊस के बाबत कहा कि उतनी जमीन का परती रहना कृषि विकास के लिए ठीक नहीं है. अन्य कृषि वैज्ञानिकों में कृषि विज्ञान केंद्र गिरिडीह के सीनियर साइंटिस्ट पंकज सेठ, डॉ कार्तिक शर्मा, डॉ समयजीत सरकार, बीटीएम रजनीश कुमार, कृषि सलाहकार समिति के अध्यक्ष सुधीर द्विवेदी, एटीएम अरविंद कुमार ने कृषकों को कृषि के आधुनिक तकनीकी के बाबत बतलाया. कृषकों में पूरण महतो, सुखदेव महतो, शंकर वर्मा, सरयू महतो, जीतन महतो, पवन कुमार, सहजानंद सहित काफी संख्या में महिलाएं थीं. बैरिया के आम बागान के पास किसानों से कृषि वैज्ञानिकों ने कृषकों से सीधा संवाद कर मशरूम उत्पादन, मशरूम का आचार, पापड़, टमाटर का सॉस बनाने के लिए उन्हें प्रेरित किया. आधुनिक कृषि पद्धति से खेती कर व उत्पादन बढ़ाकर अधिक आय प्राप्त करने को कहा गया. डॉ. बीबी सिंह, डॉ. नवीन कुमार सिंह, डॉ. खेला राम व डॉ. मदन ने कृषकों से संवाद किया. महिला कृषकों ने मुर्गियों एवं बकरियों के असमय मरने की समस्या उठाई. महिलाओं ने पानी, बिजली और अबूआ आवास न मिल पाने का मुद्दा उठाया. केवीके के डॉ. नवीन कुमार सिंह ने कहा कि वे लोग कृषि के विकास के लिए कृषि से जुड़ी समस्याओं को जानने और उसका समुचित निदान के उपायों पर चर्चा करने के लिए आए हैं. व्यवस्था कार्य बीटीएम निरंजन कुमार ने किया. बैरिया में काफी संख्या में लोग जुटे. हालांकि कृषक मित्रों की हड़ताल के कारण कार्यक्रम के संचालन में थोड़ी असुविधा दिखीं. टीम दो के टीम लीडर नवीन कुमार सिंह ने कहा कि मानिकबाद, बरवाडीह एवं बैरिया में कार्यक्रम का आयोजन हुआ.
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