नवजीवन नर्सिंग होम में मंगलवार की रात इलाज के दौरान हुए हंगामे को लेकर बुधवार को शहर के कई चिकित्सकों ने नाराजगी जतायी. डॉक्टरों ने कहा कि अस्पताल के भीतर इस तरह का हंगामा करना काफी गलत है. इससे दूसरे मरीजों के इलाज में बाधा आती है. बताया गया कि एक गर्भवती महिला के इलाज को लेकर परिजनों ने अस्पताल में प्रदर्शन और शोर-शराबा शुरू कर दिया था. बुधवार को नवजीवन नर्सिंग होम परिसर में शहर के डॉक्टरों ने प्रेस वार्ता की. कहा कि किसी भी मरीज का इलाज शांत वातावरण में ही बेहतर तरीके से हो सकता है. डॉ रितेश सिन्हा ने बताया कि डॉक्टर और मरीज दोनों एक ही टीम का हिस्सा होते हैं और इलाज के फैसले मरीज की हालत को देखकर ही लिए जाते हैं. कहा कि गंभीर स्थिति में मरीज को दूसरे अस्पताल में रेफर करना जरूरी हो सकता है. इसको लेकर गलतफहमी नहीं होनी चाहिए. कहा कि यदि इस तरह की घटनाएं दोहराई जाती हैं तो इसका असर स्वास्थ्य व्यवस्था पर पड़ेगा और मेडिकल स्टाफ पर भी मानसिक दबाव बढ़ेगा. डॉक्टरों ने प्रशासन से सुरक्षा की भी मांग की. प्रेस वार्ता में डॉ रियाज अहमद, डॉ मो आजाद, डॉ बरनवाल, डॉ विनय गुप्ता, डॉ रितेश सिन्हा, डॉ उत्तम जालान, डॉ विकाश लाल और नवजीवन नर्सिंग होम की निर्देशक स्वाति बगेड़िया समेत कई चिकित्सक व कर्मी शामिल थे.
मंगलवार की रात हुआ था
हंगामा
मालूम रहे कि रेंबा निवासी मो मुन्ना अंसारी की गर्भवती पत्नी को नवजीवन नर्सिंग होम लाया गया था. डॉक्टर अमिता राय ने जांच के बाद खून की कमी बतायी और परिजनों से खून की व्यवस्था करने की बात कही. परिजनों को देर से पहुंचने पर महिला को रेफर कर दिया गया. इस पर परिजनों ने हंगामा किया.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

