एक ओर जहां कोयला चोरी बदस्तूर जारी है, वहीं दूसरी ओर लोहा टपाने का गौरखधंधा भी खूब चला है. जाहिर है जब संपत्तियों की लूट होगी तो कंपनी को आर्थिक नुकसान होना स्वाभाविक है. वर्ष 2025 में गिरिडीह कोलियरी इन समस्याओं से जूझती रही है. पहले अवैध खंतों का संचालन कर कोयले की निकासी कर तस्करी की जाती रही है. अब सीसीएल द्वारा उत्पादित कोयले की लूट की जा रही है. यह सीसीएल प्रबंधन के लिए परेशानी का सबब बना हुआ है. अहम बात यह है कि कोयले की चोरी पर रोक लगाने के दौरान कई बार कोयला चोरों द्वारा सुरक्षा प्रहरियों पर हमला किया जा चुका है. सुरक्षा प्रहरियों के साथ मारपीट की घटना में सुरक्षा के कई जवान घायल भी हो चुके हैं. वर्ष 2005 में मार्च से लेकर सितंबर माह तक करीब पांच घटना घटित हुई है जिसमें सीसीएल सुरक्षा विभाग के गार्डस पर कोयला चोरों द्वारा हमला किया गया, जिसमें दर्जनभर सुरक्षा प्रहरी जख्मी हो चुके हैं.
जानकारी के मुताबिक 29 मार्च को कबरीबाद माइंस के सहायक मैनेजर के साथ क्रशर में कोयला चोरों द्वारा गाली गलोच किया गया, साथ ही जान से मारने की धमकी दी गई. एक जून को सीपी साइडिंग में दो सुरक्षा गार्डस के साथ मारपीट एवं जान से मारने की धमकी मिली. छह जुलाई को सीपी साइडिंग में कोयला चोरी रोकने के दौरान लगभग आठ सीसीएल कर्मियों एवं सुरक्षा गार्डस के साथ मारपीट की घटना घटित हुई. 31 अगस्त को सीपी साइडिंग में पुन: सुरक्षा बलों के साथ मारपीट की गई. वहीं नौ सितंबर को चार सुरक्षा प्रहरियों के साथ लाठी डंडा से मारपीट की गई. इसमें सुरक्षा प्रहरी रिंकू कुमार गंभीर से घायल हो गये थे. इन मामलों को लेकर मुफस्सिल थाना में प्राथमिकी दर्ज करायी गई है, जिसमें कई कोयला तस्करों को नामजद बनाया गया. इन घटनाओं के बाद भी कोयला तस्करों के खिलाफ अभियान जारी रहा. महाप्रबंधक गिरिश कुमार राठौर एवं परियोजना पदाधिकारी जीएस मीणा के निर्देश पर सुरक्षा विभाग द्वारा छापामारी अभियान चलाकर कोयल तस्करी में प्रयुक्त दर्जनाधिक बाइक व साइकिल जब्त किया गया. वहीं कोयला जब्त कर सीसीएल डंप यार्ड में जमा किया गया. सुरक्षा विभाग के मुताबिक अप्रैल से लेकर नवंबर माह तक कोयला तस्करों के खिलाफ चलाये गये अभियान में 59 बाइक, 21 साइकिल एवं एक टोटो जब्त किया गया. जहां तक लोहा चोरी की बात है कि चोरों के निशाने पर मुख्य रूप से सीसीएल वर्कशॉप एवं कबरीबाद रहा है. आउटसोर्सिंग पैंच, सीपी साइडिंग व क्रशर से हो रही कोयले की चोरीगिरिडीह कोलियरी अंतर्गत कबरीबाद आउटसोर्सिंग पैंच, सीपी साइडिंग एवं क्रशर से कोयले की चोरी होती रही है. बताया जाता है कि कबरीबाद माइंस आउटसोर्सिंग मोड पर संचालित है. यहां पर रात्रि में काफी संख्या में कोयला चोर कोयले की लूट करने के लिए पहुंचते हैं. बड़ी बात यह है कि उत्पादन कार्य में लगे मशीनों को रोककर कोयले की चोरी की जाती है. इतना ही नहीं डंपर पर कोयला लोड करके ले जाने के क्रम में भी कोयला को लूट लिया जाता है. सीपी साइडिंग में रेलवे रैक के लिए कोयला डंप किया जाता है. यहां पर भी काफी संख्या में लोग आकर कोयले की चोरी करते रहे हैं. साथ ही साथ क्रशर से भी कोयले की चोरी की जाती है. सुरक्षा बलों द्वारा चोरी रोकने का प्रयास किया जाता है, परंतु इसमें सफलता नहीं मिल रही है. सूत्रों की मानें तो कुछेक प्रहरियों का कोयला तस्करों के साथ सांठगांठ भी परेशानी का सबब बना हुआ है.
रैक सप्लाई के क्रम में चलती ट्रेन से टपाया जाता है कोयला
सीसीएल द्वारा सीपी साइडिंग से कोयले का रैक विभिन्न कंपनियों में सप्लाई किया जाता है. कोयला चोरों का मनोबल इतना बढ़ा हुआ है कि चलती ट्रेन पर चढ़कर काफी मात्रा में कोयले को उतार लेते हैं. हालिया दिनों में प्रबंधन के निर्देश पर सुरक्षा गार्डस को ट्रेन के बोगी पर चढ़ाकर रैक को पास कराने का काम किया जा रहा है. बताया जाता है कि कई बार भैकंप कर दिया जाता है. पुलिस बलों की पेट्रोलिंग इन इलाकों में चलता रहता है. इसके बाद भी कोयला चोर अपनी कारस्तानी से बाज नहीं आ रहे हैं.बड़े हादसे को आमंत्रित कर रहा है अवैध खनन
कोयला का अवैध खनन बड़े हादसे को आमंत्रित कर रहा है. यूं तो पूर्व में कई बार अवैध खनन के कारण चाल धंसने की घटना घटित हो चुकी है. इससे जानमाल का नुकसान हो चुका है. इसके बाद भी जान जोखिम में डालकर अवैध खनन किया जा रहा है. यूं तो सीसीएल गिरिडीह कोलियरी के महाप्रबंधक गिरिश कुमार राठौर एवं परियोजना पदाधिकारी जीएस मीणा के निर्देश पर सालभर में सैकड़ों अवैध खंतों के मुहाने की भराई की जा चुकी है. हालांकि चंद दिनों के बाद पुन: अवैध खनन का काम शुरू कर दिया जाता है. इस प्रक्षेत्र में डोजरिंग अभियान सालों भर चलता रहा है. कोयला चोरी पर अंकुश लगाने को लेकर सीसीएल प्रबंधन द्वारा पुलिस अधिकारियों, ट्रेड यूनियन के नेताओं, पंचायत प्रतिनिधियों के साथ कई बार बैठक की जा चुकी है. इसमें कोयला चोरी पर अंकुश लगाने को लेकर जनसहयोग पर बल दिया जाता रहा है.
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