त्योहार. दिवाली को ले मिट्टी की सामग्री बनाने का कार्य युद्ध स्तर पर जारी
सरकार की मेहरबानी से बच सकती है कुम्हारों की रौनक
12गिरिडीह5-चाक पर दीपक गढ़ते कुंभकार,
6-मिट्टी से निर्मित सामग्री की देखभाल करते कुंभकार.प्रतिनिधि, देवरी. दिवाली व छठ जैसे लोक पर्व को लेकर मिट्टी के दीपक व बर्तन की मांग के मद्देनजर कुंभकार की चाक का पहिया तेज गति से घूम रहा है. फिलहाल दिवाली को लेकर मिट्टी के दीपक, चुकड़ी, कलश तथा छठ को लेकर मिट्टी का चूल्हा, हांडी, सरपोस, कोहा, दीपक आदि बनाने का कार्य युद्धस्तर पर चल रहा है. चाक की यह रफ्तार और चेहरे की चमक बहुत थोड़े पल की है, मौसमी है. सामान्य दिनों में इधर किसी को झांकने की भी फुरसत नहीं.
बेरोजगारी का दंश झेल रहे हैं कुंभकार : मिट्टी का बर्तन बनानेवाले कुंभकारों ने बताया कि पूर्व में मिट्टी की सामग्री बनानेवाले कुंभकार मिट्टी से विविध जरूरत की सामग्री बना-बेचकर आराम की जिंदगी बसर कर लेते थे. खपड़ैल घरों में इसकी काफी खपत होती थी, तो खपड़ा बनाने का काम भी खूब होता था. मौजूदा वक्त में पक्का मकान बन रहे हैं, तो इसकी जरूरत वैसी नहीं रही. इसके फलस्वरूप खपड़े की खरीदारी के ग्राहक मिलने बंद हो गये हैं. अब कई वजह से अधिकांश कुंभकार बेरोजगार हो गये हैं. फलत: महानगर में मजदूरी की तलाश में पलायन को मजबूर हो गये हैं. बताया कि छठ व दीवाली के समय मिट्टी निर्मित वस्तुओं की मांग रहती है. समान्य दिनों में मिट्टी से निर्मित वस्तुओं की मांग नहीं रहने से बेरोजगारी की समस्या बनी रहती है.
आवास योजना में खपड़े के उपयोग से बढ़ सकती है मांग:कुंभकारों ने बताया कि उनकी बेरोजगारी दूर करने के लेकर सरकारी स्तर पर पहल नहीं होने की वजह से अधिकांश लोग बेरोजगारी का दंश झेल रहे हैं. सरकारी स्तर पर आवश्यक पहल होने व आवास योजनाओं में खपड़ा से निर्मित आवास को बढ़ावा देने से खपड़ा बनाने का कार्य फिर से शुरू हो सकता है. खपड़ा की मांग बढ़ने के बाद ही उन कुंभकारों की बेरोजगारी दूर हो पायेगी.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

