प्रखंड के बड़कीटांड़ हरिजन टोला में दुर्गा पूजा व मेला सांप्रदायिक एकता का प्रतीक है. वर्ष 1941 में भोली रविदास के नेतृत्व में एक छोटे से झोपडीनुमा घर में शुरू हुई दुर्गा पूजा लगातार जारी है. वर्तमान में यहां भव्य मंदिर है. भोली रविदास ने जब पूजा शुरू की, तो हिंदू-मुस्लिम दोनों समुदाय के लोग इसमें सहयोग किया. झारखंड गठन के पूर्व तक विसर्जन के समय बड़कीटांड़ के बुधन मियां की बैलगाड़ी में मां दुर्गा की प्रतिमा को गांव में घुमाकर स्थानीय तालाब में प्रतिमा विसर्जित की जाती थी. धीरे-धीरे में यहां पूजा का विस्तार हुआ. झोंपड़ीनुमा घर के बाद खपरैल के घर में पूजा होने लगी. वर्तमान में भव्य मंदिर बना हुआ है. पूजा का स्वरूप भी बदला. श्रीश्री 108 आदि दुर्गा मंडप के भव्य मंदिर का निर्माण कर दुर्गा माता की प्रतिमा स्थापित कर मेले की भी शुरुआत हुई.
सौ-दो सौ रुपये में होती थी पूजा
100-200 रुपये की लागत से शुरू हुई पूजा में अब हजारों रुपये की लागत से भव्य पंडाल के साथ साज सज्जा, झालरों से नवरात्र में मंदिर परिसर जगमग रहता है. नवरात्र में पूजा के बाद यहां सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन होता है. मान्यता है कि श्रद्धा व विश्वास के साथ मांगी हर मनोकामना पूरी होती है. पूजा के दौरान दोनों समुदाय के लोग शांति व्यवस्था में लगे रहते हैं. श्रीश्री 108 आदि दुर्गा मंडप पूजा कमेटी के अध्यक्ष राजकुमार रविदास ने बताया कि दोनों समुदाय के सहयोग से शुरू हुई पूजा की परंपरा आज भी कायम है.
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