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सदर अस्पताल में हड्डी रोग विशेषज्ञ नहीं, मरीज बेहाल

लगभग 24.5 लाख की आबादी वाले गिरिडीह जिला के सदर अस्पताल में एक भी अस्थि रोग विशेषज्ञ नहीं है. क्षेत्र के रेफरल अस्पतालों में भी विशेषज्ञ होते तो उसकी यहां तैनाती हो सकती थी, पर वह भी स्थिति नहीं है. सरकार के संज्ञान में मामला होने के बाद भी स्थिति नहीं बदली. विचित्र तो यह […]

लगभग 24.5 लाख की आबादी वाले गिरिडीह जिला के सदर अस्पताल में एक भी अस्थि रोग विशेषज्ञ नहीं है. क्षेत्र के रेफरल अस्पतालों में भी विशेषज्ञ होते तो उसकी यहां तैनाती हो सकती थी, पर वह भी स्थिति नहीं है. सरकार के संज्ञान में मामला होने के बाद भी स्थिति नहीं बदली. विचित्र तो यह है कि राज्य में पहले से संचालित चार ट्रॉमा सेंटर के बाद इधर जिन तीन केंद्रों का प्रस्ताव आया है, उनमें गिरिडीह का उल्लेख नहीं है.

गिरिडीह : सदर अस्पताल में हड्डी रोग विशेषज्ञ चिकित्सक की कमी से मरीजों को भारी परेशानी झेलनी पड़ रही है. यहां इस रोग से ग्रस्त मरीजों के आगमन पर उन्हें रेफर कर पीएमसीएच धनबाद भेज दिया जाता है. विशेषज्ञ चिकित्सक नहीं रहने के कारण हल्का-फुल्का क्रेक भी हो जाने पर ड्यूटी पर तैनात चिकित्सक उसका इलाज करने के साथ ही उसे रेफर स्लिप भी थमा देते हैं. यह स्थिति यहां कई सालों से बनी है.
रेफर ही एकमात्र विकल्प : अस्पताल प्रशासन ने भी संकट को ले सरकार को कई बार लिखा है. कई सालों बाद भी यहां विशेषज्ञ चिकित्सक की पदस्थापना नहीं हो सकी है. यही नहीं जिला के किसी भी सीएचसी या रेफरल अस्पताल में भी हड्डी रोग विशेषज्ञ नहीं हैं. जिला की 24.45 लाख की आबादी के स्वास्थ्य लाभ के लिए संचालित सदर अस्पताल में रोज ऐसे मरीज पहुंचते हैं जो सड़क हादसे, जमीन विवाद अथवा अन्य विवाद में मारपीट में घायल हो जाते हैं.
इन मरीजों में अधिकांश ऐसे होते हैं जिनका हाथ या पैर टूटने या शरीर का अस्थि पंजर टूटने की शिकायतें रहती हैं. इन मरीजों को आनन-फानन में किसी तरह से एंबुलेंस वाले सदर अस्पताल पहुंचा देते हैं. यहां चिकित्सक के अभाव में मरीजों का कोई इलाज नहीं हो पाता है और ऐसे में इन मरीजों को स्वास्थ्य सेवा का उचित लाभ नहीं मिल पाता है. उन्हें शहर से बाहर जाने के लिए प्रतीक्षा करनी पड़ती है.
लगभग 24.5 लाख की आबादी वाले गिरिडीह जिला के सदर अस्पताल में एक भी अस्थि रोग विशेषज्ञ नहीं है. क्षेत्र के रेफरल अस्पतालों में भी विशेषज्ञ होते तो उसकी यहां तैनाती हो सकती थी, पर वह भी स्थिति नहीं है. सरकार के संज्ञान में मामला होने के बाद भी स्थिति नहीं बदली. विचित्र तो यह है कि राज्य में पहले से संचालित चार ट्रॉमा सेंटर के बाद इधर जिन तीन केंद्रों का प्रस्ताव आया है, उनमें गिरिडीह का उल्लेख नहीं है.

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