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सीमावर्ती इलाके से नक्सलियों के सफाया की तैयारी
गिरिडीह : झारखंड-बिहार के सीमावर्ती इलाके में आतंक का पर्याय बन चुके बिहार के इनामी नक्सली लालमोहन यादव को पुलिस व सीआरपीएफ की टीम ने गत रविवार को गिरफ्तार कर संगठन को चोट दी है. अब पुलिस इस इलाके में सक्रिय रहे नक्सली संगठन भाकपा माओवादी के बड़े कमांडरों को अपने निशाने पर ले रखा […]
गिरिडीह : झारखंड-बिहार के सीमावर्ती इलाके में आतंक का पर्याय बन चुके बिहार के इनामी नक्सली लालमोहन यादव को पुलिस व सीआरपीएफ की टीम ने गत रविवार को गिरफ्तार कर संगठन को चोट दी है. अब पुलिस इस इलाके में सक्रिय रहे नक्सली संगठन भाकपा माओवादी के बड़े कमांडरों को अपने निशाने पर ले रखा है. पुलिस के निशाने पर इस क्षेत्र में सक्रिय जोनल कमांडर सिद्धो कोड़ा के अलावा पिंटू राणा व करूणा का दस्ता है.
एसपी सुरेंद्र कुमार झा की अगुआई में एएसपी दीपक कुमार, एसडीपीओ प्रभात रंजन बरवार के अलावा भेलवाघाटी, देवरी, लोकाय नयनपुर के साथ-साथ तिसरी, गावां व बेंगाबाद पुलिस इलाके में नक्सलियों की हर गतिविधि की जानकारी रख रही है. एसपी भी अधिकारियों के मनोबल को उंचा रखते हुए इलाके में लगातार बैठक कर रहे हैं. एक सप्ताह पूर्व एसपी ने सीआरपीएफ कमांडेंट के साथ भेलवाघाटी में बैठक की थी. रात तक चली इस बैठक में के बाद लालमोहन पकड़ा गया.
समर्थकों को किया जा रहा चिह्नित, हर सूचना पर छापामारी : कुख्यात नक्सलियों के अलावा पुलिस उन लोगों पर विशेष नजर रखे हुए है जो नक्सली संगठन को मदद कर रहे हैं. नक्सलियों के समर्थकों को पुलिस ने चिह्नित करना शुरू कर दिया है. इलाके में नक्सलियों को पुलिस की सूचना कौन देता है, कौन लोग नक्सलियों को शरण दे रहे हैं और आर्थिक लाभ पहुंचाते हैं या लेते हैं इसकी भी जानकारी इकट्ठा की जा रही है. इलाके में नक्सली की हर गतिविधि की सूचना पर छापामारी अभियान भी चलाया जा रहा है.
चिराग के मारे जाने के बाद मजबूत हुआ सिद्धो
झारखंड-बिहार के सीमावर्ती इलाके में घने जंगल हैं और चारों ओर पहाड़ भी. भौगोलिक संरचना का फायदा नक्सलियों ने उठाया और नक्सली संगठन ने इसे अपना सुरक्षित ठिकाना बना लिया. पहले प्रवेश-अविनाश ने संगठन को मजबूती दी तो इसके बीच चिराग इलाके के दहशत के तौर पर उभर कर सामने आया. इन नक्सलियों के दस्ते ने भेलवाघाटी, चिलखारी नरसंघार जैसी घटनाओं को अंजाम देकर यह जता दिया कि उनके खिलाफ जो भी सर उठायेगा वह मारा जायेगा.
नक्सलियों के क्षेत्र में बढ़ते वर्चास्व पर एक के बाद एक हत्याओं की घटनाओं से इलाके का विकास भी प्रभावित होने लगा. वर्ष 2010 के बाद पुलिस ने इस इलाके में नक्सलियों के खिलाफ अभियान को तेज किया तो नक्सली पकड़े जाने लगे. इस बीच जनवरी 2016 में चिराग मारा गया. चिराग के मारे जाने के बाद सुरंग यादव व सिद्धो को इलाके में संगठन को मजबूत करने का जिम्मा सौंपा. सुरंग व सिद्धो ने कई घटनाओं को अंजाम दिया. पिछले वर्ष सुरंग यादव ने बिहार पुलिस के समझ सरेंडर कर संगठन को बड़ा झटका भी दिया.
सुरंग के आत्मसमर्पण के बाद सिद्धो आक्रमक हो गया और लालमोहन, पिंटू-करूणा के साथ इलाके में घटनाओं को अंजाम देने लगा. बताया जाता है कि लालमोहन कि गिरफ्तारी के बाद संगठन को जो नुकसान हुआ है उसकी क्षतिपूर्ति करने जिम्मा संगठन से सिद्धो को सौंपा है.
गिरफ्तार हो चुके हैं सिद्धो के चाचा व बॉडीगार्ड
सिद्धो को गिरफ्तार करने का प्रयास पुलिस कई महीने से कर रही है. पिछले दिनों सिद्धो के इलाके में रहने की सूचना पर जब एसपी एसके झा व एएसपी दीपक कुमार ने छापामारी की तो सिद्धो का चाचा अबू मरांडी व बॉडीगार्ड संजय हांसदा पकड़ा गया. वहीं जनवरी में बिहार पुलिस ने सिद्धो के दस्ते की महिला कमांडर शांति सोरेन को खैरा थाना की इलाके से पकड़ा. कहा जा रहा है कि इन नक्सलियों ने पुलिस को सिद्धो को लेकर कई जानकारी दी है.
सरेंडर करें या मारे जायेंगे नक्सली : एसपी
एसपी सुरेन्द्र कुमार झा ने कहा कि क्षेत्र में सक्रिय हर नक्सली पर पुलिस की पैनी नजर है. सिद्धो हो या पिंटू-करूणा सरेंडर करें या मारे जायेंगे. कहा कि पुलिस इलाके लगातार सर्च अभियान चला रही है. हर सूचना पर कार्रवाई की जा रही है. नक्सली कहीं छिपे हों बचेंगे नहीं.
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