संदर्भ. सरिया के बिरहोर टंडा में नवजात व बच्ची की मौत का मामला, झोलाछाप चिकित्सकों के भरोसे कई गांव
सरिया के बिरहोर टंडा में इलाज के अभाव में नवजात और बच्ची की मौत ने जिला की स्वास्थ्य व्यवस्था पर सवाल खड़ा कर दिया है. सुरेश बिरहोर और उसकी पत्नी कमली अपनी बच्ची और नवजात की मौत से सदमे में हैं. वहीं प्रसव के बाद कमली की हालत गंभीर है, उसका इलाज धनबाद पीएमसीएच में चल रहा है. सवाल उठता है कि कमली के गर्भवती होने के बाद सहिया, आंगनबाड़ी सेविका, एएनएम व प्रखंड के चिकित्सक कहां थे. जिस बिरहोर जाति को बचाने के लिए करोड़ों खर्च किये जा रहे हैं, उस जाति की देखरेख में इतनी बड़ी लापरवाही कैसे की गयी, जिससे दो बच्चियों की जान चली गयी. इसके लिए जिम्मेदार कौन है. हालांकि, उपायुक्त ने मामले की जांच कर कार्रवाई का निर्देश दिया है, लेकिन सवाल यह है कि कब तक ऐसे ही गरीबों की जान जाती रहेगी.
गिरिडीह. गर्भवती महिलाओं का संस्थागत प्रसव हो, ताकि जच्चा- बच्चा दोनों सुरक्षित रहे. इसे लेकर सरकार करोड़ों रुपये खर्च कर रही है. इसके बावजूद ग्रामीण इलाकों में गैर संस्थागत प्रसव लगातार हो रहा है. सुदूरवर्ती इलाके के मरीज अब भी झोलाछाप चिकित्सकों के भरोसे हैं. ऐसे में कई बार जच्चा के साथ बच्चा की भी मौत हो जाती है. सरिया के बिरहोर टंडा में भी कमली देवी का प्रसव घर में ही जैसे-तैसे हुआ गैर नवजात की मोत हो गयी. वहीं अत्यधिक रक्तस्राव के कारण कमली जिंदगी और मौत से जूझ रही है.
क्या है जननी सुरक्षा योजना
महिलाओं का संस्थागत प्रसव कराने के उद्देश्य से जननी सुरक्षा योजना की शुरुआत हुई. प्रसव अस्पताल अथवा प्रशिक्षित दाई द्वारा किया जाना चाहिए. प्रसव के समय ग्रामीण क्षेत्रों की गर्भवती महिलाओं को 1450 रुपये की आर्थिक सहायता दी जाती है. शत-प्रतिशत केंद्र प्रायोजित इस योजना का उद्देश्य गरीब गर्भवती महिलाओं को प्रसव की संस्थागत सुविधा देना है.
कमली के शरीर में खून की कमी : सरिया प्रखंड के अमनारी बिरहोरटंडा निवासी कमली देवी (पति सुरेश बिरहोर) को रविवार की रात सदर अस्पताल से धनबाद पीएमसीएच रेफर कर दिया गया. रात लगभग 11.30 में गिरिडीह सदर अस्पताल से कमली को धनबाद ले जाया गया, जहां उसकी स्थिति गंभीर बनी हुई है. इससे पहले डीसी के निर्देश पर बगोदर से रात 10.35 में ही कमली को सदर अस्पताल लाया गया. अस्पताल पहुंचते ही डाॅ एपीएन देव ने कमली की जांच की और उसे तुरंत ही वार्ड में भर्ती कराया गया. रात लगभग 10.50 बजे डॉ रेखा झा सदर अस्पताल पहुंचीं और कमली की जांच शुरू की. इस बीच रात 11.02 में सिविल सर्जन डाॅ कमलेश्वर प्रसाद भी पहुंचे उसकी जांच की.
डॉ रेखा झा ने सीएस को बताया कि कमली के शरीर में खून की कमी है. वह एनिमिया से पीड़ित है और धीरे-धीरे उसकी तबीयत बिगङती जा रही है. चिकित्सकों ने कमली को खून चढ़ाने का प्रयास भी शुरू किया. इस बीच जब कमली की स्थिति में सुधार नहीं होने पर उसे तत्काल धनबाद भेज दिया गया.
प्रसव के दौरान न सहिया पहुंची न एएनएम : सुरेश
रात में सदर अस्पताल पहुंचे सुरेश बिरहोर व उसकी बहन ने बताया कि कमली के प्रसव के दौरान न तो सहिया पहुंची और न ही एएनएम. इससे पहले भी किसी ने जांच नहीं की थी.
एनीमिया से पीड़ित है कमली : डाॅ रेखा
सदर अस्पताल की डाॅ रेखा झा ने बताया कि महिला के शरीर में रक्त की कमी है. महिला का पांचवा प्रसव था लेकिन उसने कभी भी इलाज नहीं करवाया. महिला का पूरा शरीर फूला हुआ था इसका मतलब है कि यह गर्भवती होने से ही एनिमिया से पीड़ित है. प्रसव हुआ तो रक्त की कमी बढ़ती गयी और महिला और भी गंभीर हो गयी.
स्वास्थ्य बजट का तीस फीसदी सहिया पर हो रहा खर्च
जिले में स्वास्थ्य बजट की कुल राशि 27 करोड़ रुपये है. इसमें आठ करोड़ रुपये सिर्फ सहिया पर खर्च किये जाते हैं. सहिया का काम राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन कार्यक्रम को समुदाय से जोड़ना व स्वास्थ्य सुविधाएं हासिल कराना है. गर्भवती महिला की सूची बनाने से लेकर प्रसव तक प्रत्येक माह देखभाल की जिम्मेदारी भी सहिया की है. इसके लिये सहिया को प्रोत्साहन राशि भी दी जाती है.
डीपीएम राजवर्द्धन बताते हैं कि अभी गिरिडीह में 2500 सहिया कार्यरत हैं, जिनमें 1800 सहिया फंक्सशन हैं, और बाकी नन फंक्शनल. सहियाओं को अभी 1000 रुपये प्रत्येक माह प्रोत्साहन राशि देने का प्रावधान है, इसमें सहियाओं को गर्भवती महिलाओं की सूची तैयार करने व मासिक अद्यतन करने अलावा, टीकाकरण का मासिक ड्यु लिस्ट तैयार करने, वर्ष के आरंभ में प्रत्येक परिवार की सूची बनाने व हर माह अद्यतन करने समेत कई कार्य करने हैं. वहीं किसी गर्भवती महिला का संस्थागत प्रसव कराने पर 600 रुपये का इंसेटिव भी मिलता है.
अक्तूबर में ही मुख्य सचिव ने दिया था निर्देश : अक्तूबर में जब राज्य की मुख्य सचिव ने वीडियो काॅन्फ्रेसिंग की तो उसमें भी स्वास्थ्य योजनाओं को लेकर गंभीर रहने का निर्देश जिला के स्वास्थ्य महकमा को दिया गया. संस्थागत प्रसव पर भी विशेष ध्यान देने की बात कही गयी, लेकिन इन निर्देशों के बीच यह घटना घट गयी.
गैर संस्थागत प्रसव के कारण संक्रमण : सीएस
सिविल सर्जन कमलेश्वर प्रसाद ने बताया कि प्रसव के बाद महिला को नॉर्मल ब्लीडिंग हुई है. हालांकि गैर संस्थागत प्रसव होने के काण महिला संक्रमित हुई है. शरीर में रक्त की मात्रा काफी कम रहने के कारण होल ब्लड नहीं चढ़ा सकते हैं. इस स्थिति में होल ब्लड चढ़ाने के लिये पेकसेल की व्यवस्था होनी चाहिए जो जिला अस्पताल में नहीं है. इस कारण महिला को धनबाद रेफर किया गया है. कहा कि वैसे वे इस गैर संस्थागत प्रसव के पूरे मामले की जांच कर रहे हैं.