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झामुमो–भाजपा नेताओं में बढ़ी तल्खी

घाटशिला उपचुनाव के परिणाम के बाद गढ़वा की सियासत गरमायी

घाटशिला उपचुनाव के परिणाम के बाद गढ़वा की सियासत गरमायी वरीय संवाददाता, गढ़वा घाटशिला विधानसभा उपचुनाव का परिणाम आते ही गढ़वा जिले की सियासत एक बार फिर गरमा गयी है. झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के पक्ष में आये इस निर्णायक नतीजे ने गढ़वा से जुड़े दो दिग्गज नेताओं झामुमो के केंद्रीय महासचिव एवं पूर्व मंत्री मिथिलेश कुमार ठाकुर और भाजपा नेता, प्रदेश उपाध्यक्ष व पूर्व मंत्री भानु प्रताप शाही के बीच की राजनीतिक तल्खी को और तेज कर दिया है. गौरतलब है कि वर्ष 2024 के विधानसभा चुनाव में दोनों नेताओं को हार का सामना करना पड़ा था, बावजूद इसके दोनों का सियासी प्रभाव बरकरार है. घाटशिला उपचुनाव में दोनों नेताओं ने अपनी-अपनी पार्टी के लिए जमकर मेहनत की. परिणाम आने तक गढ़वा का राजनीतिक माहौल भी इसी उपचुनाव पर टिका रहा. झामुमो की जीत के बाद सोशल मीडिया पर भानु प्रताप शाही निशाने पर आ गये हैं. झामुमो के मीडिया पैनलिस्ट धीरज दूबे ने तंज कसते हुए कहा कि जितनी सक्रियता भानु ने घाटशिला में दिखायी, उतनी यदि अपने क्षेत्र भवनाथपुर में दिखायी होती तो शायद हार नहीं झेलनी पड़ती. उन्होंने व्यंग्य करते हुए कहा कि चुनाव के दौरान गूगल सर्च करने पर भी भानु प्रताप शाही का पता नहीं चलता था. झामुमो समर्थक भानु प्रताप शाही के पुराने चुनावी रिकॉर्ड का हवाला देते हुए भाजपा को लगातार पराजित होने वाली पार्टी बताने की कोशिश कर रहे हैं. हालांकि इस बीच बिहार में एनडीए की बंपर जीत से भाजपा खेमे को कुछ राहत मिली है और समर्थक इसी जीत का हवाला देकर घाटशिला की हार के दर्द को कम करने का प्रयास कर रहे हैं. इधर, पूर्व मंत्री भानु प्रताप शाही का कहना है कि घाटशिला उपचुनाव “संवेदनाओं का चुनाव” था. उन्होंने आरोप लगाया कि झामुमो ने सरकारी तंत्र का दुरुपयोग किया, फिर भी भाजपा कार्यकर्ताओं ने कड़ी मेहनत की. कुल मिलाकर, इस नतीजे ने गढ़वा की राजनीति में झामुमो और भाजपा के बीच बढ़ती प्रतिस्पर्धा और तल्खी को फिर उजागर कर दिया है. घाटशिला ने बदलाव नहीं, स्थिरता चुनी : मिथिलेश ठाकुर पूर्व मंत्री और झामुमो के केंद्रीय महासचिव मिथिलेश कुमार ठाकुर ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा घाटशिला ने स्पष्ट कर दिया है कि जनता झारखंड मुक्ति मोर्चा के साथ है. उम्मीदवार सोमेश सोरेन की प्रचंड जीत जनता के भरोसे, किये गये जमीनी कार्य और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की विकास राजनीति की विजय है. यह परिणाम बताता है कि घाटशिला बदलाव नहीं, स्थिरता और प्रगतिशील नेतृत्व चाहती है. नयी उम्मीदों और नये संकल्पों के साथ घाटशिला अब एक सुनहरे अध्याय की ओर बढ़ चला है. डेमोक्रेसी बचानी है तो डेमोग्राफी भी बचानी होगी : भानु प्रताप शाही भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष एवं पूर्व मंत्री भानु प्रताप शाही ने लिखा घाटशिला की जनता का निर्णय शिरोधार्य. मेहनत करने वाले भाजपा कार्यकर्ताओं को धन्यवाद. एक अन्य पोस्ट में उन्होंने फिर डेमोग्राफी का मुद्दा उठाते हुए लिखा झारखंड में डेमोक्रेसी बचानी है तो डेमोग्राफी भी बचानी होगी. यदि हम इस सच्चाई से इंकार करेंगे, तो राज्य को गर्त में जाने से कोई नहीं रोक पायेगा. कल पछतावा ही हाथ लगेगा. स्टार प्रचार महोदय का हाल बा : मानवेंद्र पूर्व मंत्री भानु प्रताप शाही के राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी भवनाथपुर विधायक अनंत प्रताप देव के पुत्र मानवेंद्र प्रताप देव उर्फ मन्नु बाबा ने सोशल मीडिया के माध्यम से बिना नाम लिये तंज कसा है. उन्होंने लिखा कि का जी स्टार प्रचारक महोदय का हाल बा??

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