रमकंडा.
गढ़वा की सड़कों पर अब गिट्टी नहीं बिछायी जायेगी. यह प्रयोग सफल रहा, तो यह सड़क निर्माण की परिभाषा बदल देगा. प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत बनने वाली कालीकरण सड़कों में अब गिट्टी बिछाने का झंझट खत्म हो जायेगा. ग्रामीण कार्य विभाग फुल डेप्थ रिक्लेमेशन (एफडीआर) तकनीक से पक्की (कालीकरण) सड़क बना रहा है. गढ़वा जिले में अभी करीब 200 किमी कालीकरण सड़कें इसी तकनीक से बनायी जानी है. विभागीय अधिकारियों के अनुसार इस तकनीक से अबतक गढ़वा जिले में करीब 100 किमी लंबी सड़कें बन चुकी है. क्या है एफडीआर तकनीक : एफडीआर ऐसी तकनीक है, जिसमें मौजूदा सड़क की सामग्री को ही रिसाइक्लिंग करके, उसमें विशेष केमिकल (जैसे सीमेंट या बाइंडर) मिलाकर फिर से मजबूत आधार यानी बेड तैयार किया जाता है. पहले गिट्टी बिछाकर बेड तैयार किया जाता था. लेकिन अब गिट्टी का उपयोग इस नयी तकनीक में नहीं होगा. इस प्रक्रिया में न तो गिट्टी ढोने की जरूरत होती है और न ही अतिरिक्त खुदाई की. इससे न केवल समय और लागत की बचत होती है, बल्कि पर्यावरणीय प्रभाव भी कम होता है. विभागीय अधिकारी बताते हैं कि इस तकनीक से बन रही सड़कों को बनाने में समय भी कम लगता है. कम लागत के साथ ही नेचुरल रिसोर्सेज भी बचता है. बताया गया कि बेड तैयार होने के बाद कालीकरण और बेड की सतह को अलग-अलग रखने के लिए कालीकरण से पहले इस पर फैब्रिक (कपड़ा) बिछाया जाता है. इससे कालीकरण की मजबूती बढ़ जाती है.इस तकनीक से बन रही सड़कें : मिली जानकारी के अनुसार गढ़वा जिले के मेराल में इस तकनीक से सड़कें बनी है. वहीं इन दिनों रमकंडा प्रखंड के बलिगढ़, होमिया दुर्जन होते हुए गोदरमाना तक बन रही सड़क में इस तकनीक का उपयोग हो रहा है. विभागीय अधिकारियों के अनुसार रमकंडा के उदयपुर चेटे और उदयपुर रमकंडा की बनने वाली सड़क में इसी तकनीक का उपयोग होगा.
एफडीआर तकनीक को दी जा रही है प्राथमिकता : सहायक अभियंताग्रामीण कार्य विभाग के सहायक अभियंता अंकुर चौरसिया ने बताया कि यह तकनीक काफी अच्छी है. अब गढ़वा जिले में बनने वाली सड़कों में इसी एफडीआर तकनीक को प्राथमिकता दी जा रही है. यह तकनीक कारगर भी साबित हो रही है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है