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गढ़वा के प्रवासी मजदूर की महाराष्ट्र में हुई मौत तो परिजनों ने जमीन बेच कर मंगवाया शव, जानें सरकारी प्रावधान

योगेंद्र तीन हफ्ते पहले गांव के साथियों के साथ महाराष्ट्र के सोलापुर में सरिया-सेंटरिंग का काम करने गया था. बीते सोमवार को काम करने के दौरान अचानक उसके पेट में दर्द उठा.

धुरकी के घघरी गांव निवासी नारायण यादव को महाराष्ट्र से अपने इकलौते बेटे योगेंद्र यादव (35) का शव मंगवाने के लिए जमीन बेचनी पड़ी. शुकव्रार सुबह निजी एंबुलेंस शव लेकर जैसे ही घर पहुंचा, पूरा गांव शोक में डूब गया. मृतक की पत्नी विंदा देवी और मां शव से लिपटकर दहाड़ मारकर रो रही थीं. दोनों बार-बार मूर्छित हो जा रही थीं.

योगेंद्र तीन हफ्ते पहले गांव के साथियों के साथ महाराष्ट्र के सोलापुर में सरिया-सेंटरिंग का काम करने गया था. बीते सोमवार को काम करने के दौरान अचानक उसके पेट में दर्द उठा. देखते ही देखते योगेंद्र का शरीर सूज गया. तबीयत ज्यादा बिगड़ी, तो साथियों ने निजी अस्पताल में भर्ती करा दिया. स्वास्थ्य में थोड़ा सुधार हुआ था, तो योगेंद्र बुधवार को साथियों के साथ ट्रेन से घर लौटने लगा.

इसी बीच ट्रेन में ही दोबारा उसकी तबीयत बिगड़ गयी. साथियों ने उसे कोपर गांव स्टेशन पर उतारा और स्थानीय अस्पताल में ले गये, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया था. वहां से योगेंद्र का शव घर तक लाने के लिए पिता के पास पैसे नहीं थे, तो उन्होंने 60 हजार रुपये में अपनी जमीन बेच दी और निजी एंबुलेंस से शव को घर तक मंगवाया.

प्रशासन से सहयोग की मांग :

पिता ने बताया कि योगेंद्र घर का एक मात्र कमाऊ सदस्य था. उसके दो बेटे हैं. शव आने पर बड़ी संख्या में ग्रामीण मृतक के परिजनों को ढांढ़स बंधाने के लिए पहुंचे थे. मृतक के घर पहुंचे पूर्व मुखिया विनोद कुमार राम ने प्रशासन से मृतक के श्राद्ध कर्म के लिए आर्थिक सहयोग और अन्य सरकारी सहायता देने की मांग की है. मौके पर मौजूद मुखिया प्रतिनिधि अशोक राम ने मृतक के परिवार को सरकार हर संभव सरकारी सहायता उपलब्ध कराने का आश्वासन दिया है.

धुरकी सगमा प्रखंड प्रमुख अजय प्रसाद गुप्ता और जिप सदस्य अंजू देवी ने कहा है कि मृतक योगेंद्र यादव के परिजन को सरकार की ओर से मिलने वाली सभी सुविधाएं उपलब्ध कराने का प्रयास किया जायेगा. वहीं, मृतक के परिवार की जमीन न बिके, इसके लिए श्रद्धा क्रम में सामाजिक एवं आर्थिक सहयोग करने का भी प्रयास किया जायेगा.

प्रवासी मजदूरों को दो लाख का मुआवजा और पार्थिव शरीर लाने का खर्च देती है राज्य सरकार

राज्य सरकार ने प्रवासी मजदूरों की मौत होने पर सहायता देने की नयी योजना बनायी है़ इस योजना के तहत निबंधित प्रवासी मजदूरों की मौत पर उनके आश्रितों को दो लाख अनुदान राशि देने का प्रावधान है़ वहीं, जो प्रवासी श्रमिक निबंधित नहीं हैं, उनके आश्रितों को 1़ 50 लाख रुपये देने का प्रावधान है. इसके लिए सरकार ने सभी जिलों में 10 लाख तक कोष गठन करने का निर्देश दिया है़ उपायुक्तों को इस संबंध में आदेश दिये गये हैं. इसमें प्रवासी मजदूर के शव को उनके घर तक पहुंचाने का खर्च भी शामिल है.

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