कला संवर्द्धन के लिये नहीं मिल रहा अपेक्षित सहयोग : नीरज श्रीधर गढ़वा. जिले के भंडरिया प्रखंड स्थित जनेवा गांव के बंगाली डेरा में संस्कार भारती द्वारा आयोजित बैठक में लोक एवं जनजातीय कला की मौजूदा स्थिति पर गंभीर चिंतन किया गया. बैठक का उद्देश्य इन पारंपरिक कलाओं से जुड़े कलाकारों की वास्तविक स्थिति को समझना और उनके संरक्षण को लेकर ठोस सुझाव प्रस्तुत करना था. बैठक में झारखंड प्रांत के मंत्री पंडित हर्ष द्विवेदी, कला मंच नवादा (गढ़वा) के निदेशक नीरज श्रीधर और छत्तीसगढ़ प्रांत से संस्कार भारती के संगीत विधा सह संयोजक पवन पांडेय शामिल हुए. इस मौके पर अशोक कुमार सिंह ने कहा कि जनजातीय कला को जीवित रखने वाले स्थानीय कलाकारों को सरकारी मंचों पर स्थान नहीं मिल पाता है. शासन-प्रशासन द्वारा आयोजनों में अक्सर भारी धनराशि खर्च कर बाहरी कलाकारों को बुलाया जाता है, जिससे स्थानीय कला साधकों को अवसर नहीं मिलता और उनका मनोबल टूटता है. उनके पास आय का कोई दूसरा स्थायी साधन भी नहीं है, जिससे अगली पीढ़ी धीरे-धीरे इस परंपरा से विमुख हो रही है. प्रांत मंत्री नीरज श्रीधर ने बताया कि पूर्ववर्ती सरकार के समय ‘सुबह-सवेरे’ और ‘शनि परब’ जैसे साप्ताहिक कार्यक्रम संचालित किये जाते थे, जिनसे लोक और जनजातीय कलाकारों को मंच और प्रोत्साहन राशि दोनों मिलती थी. उन्होंने आग्रह किया कि वर्तमान सरकार को भी ऐसे ही कार्यक्रमों को पुनः शुरू करना चाहिए ताकि पारंपरिक कला जीवित रह सके. पवन पांडेय ने सभी सांस्कृतिक संगठनों और जिम्मेदार नागरिकों से अपील की कि वे मिलकर इन कलाकारों की स्थिति सुधारने के लिए ठोस कदम उठायें. उनका कहना था कि लोककला और जनजातीय कला साधक हमारे सांस्कृतिक राजदूत हैं और उन्हें सम्मान, मंच और आर्थिक सहायता मिलना अत्यंत आवश्यक है. बैठक में विश्वनाथ सिंह, वासुदेव सिंह, गंगा सिंह, तेज प्रताप सिंह, शंकर सिंह और उदित नारायण सहित कई लोक कलाकार उपस्थित थे. कार्यक्रम का नेतृत्व समर्पित भाव से किया गया और सभी ने एक स्वर में पारंपरिक कलाओं के संरक्षण की आवश्यकता को रेखांकित किया.
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