मेराल.
आनंद मार्ग जागृति मेराल में आनंद मार्ग के संस्थापक योगेश्वर श्री आनंदमूर्ति का 104वां जन्म उत्सव धूमधाम से मनाया गया. जन्मोत्सव कार्यक्रम का शुभारंभ पांचजन्य से प्रारंभ हुआ. इसमें प्रभात संगीत, आवर्त कीर्तन, सामूहिक साधना, आनंद वाणी व सामूहिक भोजन किया गया. मौके पर शाखा के सचिव डॉ लाल मोहन ने कहा कि आनंदमूर्ति जी का जन्म 1921 में वैशाखी पूर्णिमा के दिन बिहार के जमालपुर में एक साधारण परिवार में हुआ था. परिवार का दायित्व निभाते हुए उन्होंने सामाजिक समस्याओं के कारण का विश्लेषण किया और लोगों को योग व साधना की शिक्षा देने में अपना समय लगाया. सन् 1955 में उन्होंने आनंद मार्ग प्रचारक संघ की स्थापना की. मौके पर इंजीनियर रोहित कुमार ने कहा कि आनंद मार्ग यूनिवर्सल रिलीफ टीम ने साल 1970 में एमर्ट की स्थापना की. इससे दुनिया में पीड़ित मानवता की सेवा हो सके. एमर्ट के कार्यकर्ताओ ने पूरे विश्व में सेवा कार्यों के बल पर अपनी पहचान बनायी है. मौके पर प्रो राजमोहन ने कहा कि जहां आज समाज पश्चिमी सभ्यता का अनुसरण कर रहा है. ऐसे समय में आनंदमूर्ति ने 5018 प्रभात संगीत विश्व के अनेक भाषाओं में रचना कर भारतीय संस्कृति का पुनर्जागरण किया है. देवीशरण गुप्ता ने कहा कि तंत्र साधना, प्रउत, पैक, नवयमन्वतावाद, भाषा विज्ञान, यौगिक चिकित्सा एवं द्रव्यगुण, अनेकानेक विश्वव्यापी संगठन देकर मानव समाज को अवदान दिया है. कार्यक्रम में धन्यवाद ज्ञापन अशोक कुमार ने किया.उपस्थित लोग : जन्म महोत्सव में तन्मय देव, तरुण देव, गार्गी देव ने विशेष सहयोग किया.इस अवसर पर चंदन कुमार, मिथलेश कुमार, सच्चिदानंद कुशवाहा, रंजीत कुमार, रीमा देवी, संगीता देवी, कंचन दीदी, अंजली, नंदनी, सृष्टि, दिव्यानी व संकल्प देव सहित कई आनंद मार्गी उपस्थित थे.
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