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धनकटनी कर लौट रहे मजदूर की दुर्घटना में मौत
नगरऊंटारी (गढ़वा) : सीमावर्ती उत्तरप्रदेश के राबर्ट्सगंज के निपनियां ग्राम से धनकटनी कर पिकअप वैन से लौट रहे मजदूर रमेश उरांव (35) की मौत पिकअप वैन के दुर्घटनाग्रस्त होने से हो गयी. पिकअप वैन पर सवार सात अन्य मजदूर घायल हैं, जिनक इलाज राबर्ट्सगंज में चल रहा है. घायलों में अजय उरांव, विजय उरांव, दीना […]
नगरऊंटारी (गढ़वा) : सीमावर्ती उत्तरप्रदेश के राबर्ट्सगंज के निपनियां ग्राम से धनकटनी कर पिकअप वैन से लौट रहे मजदूर रमेश उरांव (35) की मौत पिकअप वैन के दुर्घटनाग्रस्त होने से हो गयी. पिकअप वैन पर सवार सात अन्य मजदूर घायल हैं, जिनक इलाज राबर्ट्सगंज में चल रहा है. घायलों में अजय उरांव, विजय उरांव, दीना उरांव, मुसनी देवी, धनवासी देवी, शीलवंती देवी व पानपती देवी शामिल हैं. सभी मजदूर थाना क्षेत्र के पतरिहाखुर्द ग्राम निवासी हैं. लगभग एक माह पहले ये लोग धनकटनी करनेगये थे.
घटना बुधवार की अहले सुबह पांच बजे भोर की है. घटना का प्रत्यक्षदर्शी प्रमोद उरांव ने बताया कि धनकटनी के बदले मिले धान को पिकअप वैन पर लाद कर घर लौट रहे थे. रमेश व विजय उरांव पिकअप चालक के बगल में बैठे थे. शेष मजदूर पिकअप वैन के ऊपर सवार थे. पिकअप वैन जब डाला वैष्णव मंदिर के पहले ओवरब्रिज पर पहुंचा, तो दुर्घटनाग्रस्त होकर पलट गया.
पिकअप वैन पलटने से उसका केबिन दब गया, जिससे घटनास्थल पर ही रमेश की मौत हो गयी. शेष सात अन्य मजदूरों को रॉबर्ट्सगंज स्थित चिकित्सालय में दाखिल कराया गया है. दुर्घटना में मृत रमेश का शव पतरिहाखुर्द ग्राम स्थित पैतृक आवास पहुंचने के साथ ही उरांवटोला में कोहराम मच गया. परिजनों का रो-रो कर बुरा हाल था.
घटना की सूचना मिलते ही नवजवान संघर्ष मोरचा के लक्ष्मण राम, सुषमा देवी, नवनिर्वाचित मुखिया पंकज प्रताप देव मृतक के घर पहुंच कर परिजनों को सांत्वना दिया. समाचार लिखे जाने तक मृतक के परिजन को पारिवारिक लाभ योजना की राशि नहीं मिल सकी है.
मजदूरी के रूप में 70 रुपये का धान िमलता है
अनुमंडल के विभिन्न गांवों से रोजी-रोटी की जुगाड़ में मजदूरों का पलायन उनकी नियति बन गयी है. धनरोपनी व धनकटनी के समय में बड़ी संख्या में महिला व पुरुष मजदूर सीमावर्ती उत्तरप्रदेश व बिहार के विभिन्न जिलों में पलायन करते हैं, जहां उनका आर्थिक शोषण किया जाता है.
वहां मजदूरों को ठहरने के लिए दलान होता है, जहां स्त्री व पुरुष मजदूर एक साथ रहते हैं. इन मजदूरों को भोजन बनाने के लिए न तो रसोई घर होता है न तो शौच जाने के लिए शौचालय. मजदूरी के रूप में इन्हें सात किलो धान प्रतिदिन मिलता है.
धनकटनी में मिले धान को इन्हें खुद भाड़ा देकर घर लाना पड़ता है. धान काट कर लौट रहे भदुली ग्राम के मजदूर राम प्रवेश उरांव, विनोद उरांव व रामप्रगास उरांव ने बताया कि सवा महीना पहले वे धान काटने राबर्ट्सगंज के ग्रामीण इलाकों में गये थे, जहां उन्हें सात किलो धान प्रतिदिन मजदूरी मिलता था. इसका बाजार मूल्य 70 रुपये होता है.
जब इन मजदूरों से पूछा गया कि गांव को छोड़ कर बाहर काम करने क्यों जाते हैं, तो मजदूों ने बताया कि गांव में काम नहीं मिलता है. मनरेगा के तहत मजदूरों को 100 दिन काम देने की योजना पूरी तरह फेल है, जिसके कारण विवश होकर मजदूर रोजी-रोटी के लिए दूसरे राज्यों में पलायन करते हैं.
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