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सच्चा धर्म त्याग सिखाता है : आचार्य रत्नेश

सच्चा धर्म त्याग सिखाता है : आचार्य रत्नेशफोटो प्रवचन करते कथाभास्कर आचार्य रत्नेशनगरऊंटारी (गढ़वा). पाल्हेकला ग्राम स्थित प्राथमिक विद्यालय परिसर में चल रहे मानस कथा के पांचवें दिन श्रोताअों को संबोधित करते हुए कथाभास्कर आचार्य रत्नेश ने कहा कि त्याग सबसे बड़ा धर्म है. सच्चा धर्म हमें त्याग सिखाता है. जो हमें स्वार्थी बनाये, वह […]

सच्चा धर्म त्याग सिखाता है : आचार्य रत्नेशफोटो प्रवचन करते कथाभास्कर आचार्य रत्नेशनगरऊंटारी (गढ़वा). पाल्हेकला ग्राम स्थित प्राथमिक विद्यालय परिसर में चल रहे मानस कथा के पांचवें दिन श्रोताअों को संबोधित करते हुए कथाभास्कर आचार्य रत्नेश ने कहा कि त्याग सबसे बड़ा धर्म है. सच्चा धर्म हमें त्याग सिखाता है. जो हमें स्वार्थी बनाये, वह धर्म नहीं हो सकता. उन्होंने कहा कि भरत जी के चरित्र में धर्म की सच्ची व्याख्या मिलती है. भरत जी वह कार्य करते हैं, जिसमें उनका त्याग दिखाई पड़ता है. उन्होंने कहा कि प्रेम की मूर्ति हैं. प्रेम हमें समर्पण सिखाता है. उन्होंने कहा कि श्रीराम की तरह स्वखभाव व भरत की तरह भाव हो, तो हर परिवार सुखी हो जायेगा. उन्होंने कहा कि आज भाई-भाई के बीच संपत्ति का बंटवारा होता है, जिसके कारण परिवार बिखर जाता है. अयोध्या की राज संपत्ति जो राम के मिलनेवाली थी, उसे वे अपने भाई भरत के लिए छोड़ कर वन को चले गये. जब वह भरतजी को मिलने लगा, तो वे भी उसे छोड़ कर श्रीराम के पास वन में जाने लगे. भारत वन में श्रीराम के पास संपत्ति नहीं विपत्ति बांटने गये. उन्होंने कहा कि रामचरित मानस हमें शिक्षा देती है कि भाई-भाई में बंटवारा हो, तो संपत्ति नहीं विपत्ति का हो. जिस दिन समाज में एक भाई दूसरे भाई की विपत्ति बांटने लगेगा, उसी दिन दुनिया में रामराज्य की स्थापना हो जायेगी. रामराज्य धर्म राज्य से भी ऊपर प्रेम का राज्य है.

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