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ग…ओके…पत्नी धर्म का साधन है : आचार्य रत्नेश

ग…अोके…पत्नी धर्म का साधन है : आचार्य रत्नेशनगरऊंटारी (गढ़वा). प्रखंड के पाल्हेकला ग्राम स्थित प्राथमिक विद्यालय के परिसर में चल रहे मानस कथा के तीसरे दिन उपस्थित श्रोताअों को संबोधित करते हुए कथा भास्कर आचार्य रत्नेश ने कहा कि पति को पतन से जो बचाये, वह पत्नी है. अौर जो पत्नी को रक्षा करे उसे […]

ग…अोके…पत्नी धर्म का साधन है : आचार्य रत्नेशनगरऊंटारी (गढ़वा). प्रखंड के पाल्हेकला ग्राम स्थित प्राथमिक विद्यालय के परिसर में चल रहे मानस कथा के तीसरे दिन उपस्थित श्रोताअों को संबोधित करते हुए कथा भास्कर आचार्य रत्नेश ने कहा कि पति को पतन से जो बचाये, वह पत्नी है. अौर जो पत्नी को रक्षा करे उसे पति कहते हैं. उन्होंने कहा कि जो पाप से बचा कर पति को धर्म में लगाये, उसे धर्मपत्नी कहते हैं. उन्होंने कहा कि सृष्टि सहयोग पर टिकी हुई है. उन्होंने कहा कि जब स्त्री व पुरुष अग्नि वेद, ब्राह्मण व समाज को साक्षी मान कर एक दूसरे का सहयोग करते हुए पूरा जीवन मिल कर जीने का संकल्प लेते हैं, तो इस संस्कार को हमारे देश में विवाह कहा जाता है. विवाह जीवन का सबसे बड़ा उत्सव है. उन्होंने कहा कि विवाह दो परिवार, समाज को जोड़ता है. वर्तमान समय में विवाह संस्कार नहीं रह गया है. दहेज की कुरीति, वैभव का अहंकार का प्रदर्शन ने विवाह जैसे संस्कार को तहस-नहस कर दिया है. उन्होंने कहा कि जोड़े बना कर रहना विवाह नहीं है. जोड़े बना कर तो पशु-पक्षी भी रहते हैं. उन्होंने कहा कि जो स्वयं जोड़ा बना कर रहते हैं, पाश्चात्य संस्कृति में उनकी पत्नी वाइफ होती है. उन्होंने कहा कि सुख के विस्मयकारी साधन को वाइफ कहते हैं. विदेशों में वाइफ सुख का साधन है अौर भारत में पत्नी धर्म का साधन होती है. उन्होंने कहा कि विवाह को संस्कार ही रहने दें. रामकथा का श्रवण करने प्रतिदिन बड़ी संख्या में ग्रामीण महिला पुरुष उपस्थित हो रहे हैं.

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