वे 1992 में सरकारी चिकित्सक के रूप में गढ़वा सदर अस्पताल में सेवा देने आये हुए थे़ इसके बाद 2007 तक वे सदर अस्पताल में ही सेवारत रहे़ सेवानिवृत्ति के बाद गोविंद उवि के मैदान स्थित कामेश्वर सिंह के मकान में निजी प्रैक्टिस कर रहे थे़ वे आज के दौर में भी मात्र 50 रुपये फी लेकर मरीजों का इलाज करने के कारण जिला व आसपास के क्षेत्रों में काफी प्रसिद्ध थे़ डॉ सिंह हड्डी रोग के अलावे जेनरल फीजिशयन भी थे़ उनके परिवार में पत्नी के अलावे एक बेटा व दो बेटी हैं. जो वर्तमान में पटना में रहते हैं. डॉ सिंह के निधन की खबर सुनते ही चिकित्सकों, सामाजिक कार्यकर्ताओं व अन्य लोगों में शोक की लहर दौड़ गयी़ उनके क्लिनिक सह आवास के पास काफी संख्या में लोग पहुंचे और उनका अंतिम दर्शन किया़ इधर डॉ सिंह के निधन पर अस्पताल चौक पर एक शोकसभा का आयोजन किया गया, जिसमें दो मिनट का मौन रखकर उनकी आत्मा की शांति हेतु ईश्वर से प्रार्थना की गयी़
शोकसभा में वक्ताओं ने कहा कि डॉ सिंह ने अपने पारिवारिक दायित्वों के साथ-साथ सामाजिक दायित्वों को भी बखूबी निभाया है़ वे आजीवन पेशा से हटकर भी राजनीतिक व सामजिक बुराइयों की ओर लोगों का ध्यान आकृष्ठ कराते रहते थे़ इस अवसर पर डीपी सिंह, जनेश्वर दुबे, बुधन पाल, विनय चौबे, श्रीकांत तिवारी, आशिक अंसारी, संजय तिवारी, मारूत नंदन दुबे, अनंत कुमार दुबे, नितिन तिवारी, गौतम ऋषि, दुर्गा प्रसाद, मृत्युंजय सिंह, बबलू सिन्हा, श्रीराम धरदुबे, गुड्डू सिंह, संजय ठाकुर, रितेश तिवारी आदि उपस्थित थे़