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श्रमदान से बनायी डेढ़ किमी सड़क

ग्रामीणों ने जनप्रतिनिधियों पर लगाया उपेक्षा का आरोप गढ़वा : गढ़वा जिला मुख्यालय से सटे छतरपुर गांव के 150 ग्रामीणों ने शुक्रवार को झाविमो के जिलाध्यक्ष सह छतरपुर गांव निवासी सूरज कुमार गुप्ता के नेतृत्व में श्रमदान से डेढ़ किलोमीटर सड़क की मरम्मत कार्य को पूरा किया. श्रमदान में गांव के 10 ट्रैक्टर मालिको ने […]

ग्रामीणों ने जनप्रतिनिधियों पर लगाया उपेक्षा का आरोप
गढ़वा : गढ़वा जिला मुख्यालय से सटे छतरपुर गांव के 150 ग्रामीणों ने शुक्रवार को झाविमो के जिलाध्यक्ष सह छतरपुर गांव निवासी सूरज कुमार गुप्ता के नेतृत्व में श्रमदान से डेढ़ किलोमीटर सड़क की मरम्मत कार्य को पूरा किया. श्रमदान में गांव के 10 ट्रैक्टर मालिको ने भी अपना -अपना ट्रैक्टर श्रमदान में लगाया, वहीं चिरौंजिया गांव के जेसीबी के मालिक प्रदीप महतो ने अपना जेसीबी मशीन श्रमदान के लिए दिया.
ग्रामीणों ने छह घंटे की मशक्कत के बाद सड़क का मरम्मत कार्य पूरा कर लिया.
मौके पर श्रमदान में लगे ग्रामीणों ने बताया कि पिछले दो साल से उनके गांव में जानेवाली सड़क इतनी जर्जर हो चुकी थी कि पर पैदल चलना भी मुश्किल था.जर्जर सड़क व कीचड़ होने के कारण शहर में पड़ने वाले गांव के बच्चे स्कूल नहीं जा पाते थे तथा बीमार लोगों को इलाज कराने के लिए शहर ले जाने में काफी परेशानी होती थी. ग्रामीणों ने कहा कि गांव के निवासी व झाविमो के जिलाध्यक्ष सूरज गुप्ता के साथ बैठक कर श्रमदान से उक्त सड़क मरम्मत कराने का निर्णय लिया, जिसके आलोक में शुक्रवार को कार्य शुरू किया गया.
जनप्रतिनिधियों ने उपेक्षा की है : ग्रामीण : गांव के ग्रामीणों ने बताया कि बीते विधानसभा चुनाव में छतरपुर गांव के बूथ संख्या 157 पर कुल 632 वोट पड़े थे, जिसमें से 576 वोट भाजपा को मिला था. चुनाव के बाद जनप्रतिनिधियों ने ग्रामीणों को आश्वासन दिया था कि वह छतरपुर गांव को गोद लेंगे. लेकिन तीन साल बीत जाने के बाद एक बार भी वे गांव में नहीं आए है. ग्रामीणों ने पंचायत के मुखिया पर भी आरोप लगाया कि उनके द्वारा भी छतरपुर गांव की उपेक्षा की जाती रही है. जबकि वे पास के झलुआ गांव में विकाश कर रहे है. इस बात को लेकर ग्रामीणों में काफी आक्रोश व्याप्त है. ग्रामीणों ने कहा कि आने वाले चुनाव में वैसे जनप्रतिनिधियों को वे सबक सिखायेंगे जिन्होंने आश्वासन देकर उन्हें उपेक्षित किया है.
जिन्होंने श्रमदान में सहयोग किया
जिन ट्रैक्टर मालिकों ने श्रमदान में सहयोग किया उनमें अखिलेश जायसवाल, मुन्ना अंसारी, खुर्शीद अंसारी, अमरेंद्र गुप्ता, सुनील जायसवाल, फैयाज अंसारी, अनिल गुप्ता, कलीम अंसारी, अशोक कुमार आदि का नाम शामिल है. जबकि श्रमदान करनेवालों में बीडीसी आरती देवी, रामजी भुईया, दिनेश राम, संतोष सिंह मुन्ना चंद्रवंशी, मैनेजर चौधरी, सुनील गुप्ता, विनोद प्रसाद, प्रदीप कुमार, रामेश्वर चौधरी, ओम प्रकाश गुप्ता, शुभम गुप्ता, सुनील चौधरी, कमलेश भुइयां, रामा भुइयां, सुबोध कुमार, अजय राम, नंदू भुइयां, अवधेश चंद्रवंशी, अयोध्या राम आदि का नाम शामिल है.
12 वर्ष पूर्व बनी थी गांव की सड़क
श्रमदान में लगे ग्रामीणों ने बताया कि चिरौंजिया मुख्य पथ से छतरपुर जाने वाली ग्रामीण सड़क का निर्माण वर्ष 2005- 06 में एक लाख रुपये की लागत से जवाहर रोजगार योजना के तहत करवाया गया था. इसके पश्चात वर्ष 2012-13 में पंचायत स्तर पर एक लाख की लागत से इसका मरम्मत कराया गया था. उसके बाद से लगातार गांव के ग्रामीण सड़क की पक्कीकरण करने की मांग करते आ रहे हैं.
800 घर की आबादी है छतरपुर गांव की
गढ़वा जिला मुख्यालय से तीन किलोमीटर की दूरी पर एनएच-75 से एक किलोमीटर दूर स्थित 800 घर के लगभग 3000 आबादी वाले इस गांव में बुनियादी सुविधाओं का घोर अभाव है. राज्य में पंचायती राज व्यवस्था कायम होने के बाद गांव के लोगों को उम्मीद जगी थी कि जिला मुख्यालय से सटे इस गांव की तसवीर बदलेगी, लेकिन ऐसा नहीं हो सका और लोग आज भी इस गांव के लोग बुनियादी समस्याओं के लिए जूझ रहे हैं.
सरकार पूरी तरह फेल है: सूरज
भाजपा सरकार पूरी तरह फेल है. श्रमदान से मरम्मत की गयी यह सड़क इस बात का सबूत तो है ही, वहीं स्थानीय जनप्रतिनिधियों के लिए शर्मनाक है.उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन एवं जनप्रतिनिधियों की उपेक्षा के कारण गांव की स्थिति ऐसी हुई है.शहर से सटे गांव की स्थिति ऐसी है तो सुदूर क्षेत्रों में क्या हाल होगा इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है.

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