ग्रामीणों ने कहा कि गढ़वा जिला प्रशासन द्वारा बार-बार गलत रिपोर्ट देकर जनगणना आयोग को गुमराह करने का कार्य किया जा रहा है़ ग्रामीणों ने कहा कि उनके गांव को पंचायत मुख्यालय बनने से रोकने के लिए एक साजिश के तहत जनगणना में गांव की आबादी को कम करके दिखाया गया है़ इसे लेकर प्रखंड से लेकर प्रधानमंत्री कार्यालय तक गुहार लगाया जा चुका है़.
ग्रामीणों ने कहा कि यह जनसंख्या घोटाला है़ इसके कारण उनका गांव पंचायत मुख्यालय होने से वंचित हुआ है़ वर्ष 991 में मेरौनी गांव की आबादी 1435 थी़ लेकिन जब 2001 की जनगणना हुई, तब उसकी आबादी 1440 दिखायी गयी़ यह आंकड़ा कहीं से भी तार्किक नहीं है़, जबकि उनके बगल के लोहरगड़ा गांव की आबादी 1991 में कम थी, जिसकी आबादी मेरौनी से बढ़ाकर दिखा दिया गया और लोहरगड़ा को ही पंचायत मुख्यालय बना दिया गया़ ग्रामीणों ने कहा कि उनकी मांगे नहीं मानी गयी और मेरौनी को पंचायत का दर्जा नहीं मिला तो आंदोलन को और तेज लिया जायेगा़ मौके पर अमरेश तिवारी, सुदर्शन राम, धनंजय पासवान, उमाशंकर तिवारी, रामकवल राम, आनंद कुमार तिवारी, तुलसी राम, हरिनंदन मेहता, कस्तूरी तिवारी, पारसनाथ तिवारी, रामपवन राम, विजय पासवान, सीताराम तिवारी, रामधनी महतो, रामकवल राम, अमरनाथ तिवारी, मिथिलेश तिवारी, संतोष तिवारी, ललिता दुबे, उमाशंकर तिवारी, महेंद्र मेहता, रवींद्र दुबे, मलुकी चौधरी, पिंटू तिवारी, बचनदेव चंद्रवंशी, दुखी चंद्रवंशी सहित 200 ग्रामीण उपस्थित थे़