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दो शिक्षकों के जिम्मे है 863 छात्राओं का भविष्य

बंशीधर नगर : अनुमंडल मुख्यालय के हृदय स्थली में स्थित राजकीयकृत अंबालाल पटेल बालिका उच्च विद्यालय शिक्षकों की कमी का दंश झेल रहा है. विद्यालय में नामांकित 863 छात्राओं को पढ़ने के लिए मात्र दो शिक्षक हैं.अंग्रेजी, गणित, विज्ञान जैसे मुख्य विषयों के शिक्षक नहीं हैं. इसके बावजूद वर्ष 2017 में विद्यालय का परीक्षा फल […]

बंशीधर नगर : अनुमंडल मुख्यालय के हृदय स्थली में स्थित राजकीयकृत अंबालाल पटेल बालिका उच्च विद्यालय शिक्षकों की कमी का दंश झेल रहा है. विद्यालय में नामांकित 863 छात्राओं को पढ़ने के लिए मात्र दो शिक्षक हैं.अंग्रेजी, गणित, विज्ञान जैसे मुख्य विषयों के शिक्षक नहीं हैं. इसके बावजूद वर्ष 2017 में विद्यालय का परीक्षा फल 52 प्रतिशत रहा है.
ये शिक्षक किस तरह छात्राओं को सभी विषयों की जानकारी देते होंगे, इसका अनुमान सहज ही लगाया जा सकता है. विद्यालय में नवमी व दशमी कक्षा की पढ़ाई होती है. कक्षा नव में 401 व कक्षा 10 में 462 छात्राएं नामांकित हैं. निश्चित रूप से कहा जा सकता कि विद्यालय में नामांकित छात्राओं को विज्ञान अंग्रेजी व गणित जैसे मुख्य विषय के लिए टयूशन का सहारा लेना पड़ता है. जबकि सरकार बालिका शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए कई योजना चला रही है. इसके बावजूद अभिभावकों को टयूशन का अतिरिक्त खर्च वहन करना पड़ता है.
क्या है स्थिति
अंबालाल पटेल बालिका उच्च विद्यालय की स्थापना 1953 में हुई थी.1972 में इस विद्यालय को आंशिक व बाद में पूर्ण स्वीकृति मिली. इसके बाद विद्यालय में एक प्रधानाध्यापक के अतिरिक्त 10 शिक्षकों का पद स्वीकृत किया गया. प्रधानाध्यापक का पद विगत कई वर्ष से रिक्त है, जबकि वर्तमान में इस विद्यालय में दो शिक्षक कार्यरत हैं. लीपिक का एक पद सृजित है तथा कार्यरत एक हैं. अनुसेवक का एक पद स्वीकृत है, जो रिक्त है. विद्यालय में प्रयोगशाला व पुस्तकालय भी है. लेकिन शिक्षकों की कमी के कारण उसका संचालन नहीं हो पता है.
छात्राओं को बेहतर शिक्षा मिले, इसके लिए कम से कम विषयवार शिक्षकों का होना आवश्यक है. सरकार को विद्यालय में शिक्षकों की कमी की समस्या को गंभीरता से लेना चाहिएस तभी पढ़ेगा इंडिया –बढ़ेगा इंडिया का नारा साकार होगा. स्थापना काल से आज तक इस विद्यालय में शिक्षा ग्रहण कर कई छात्राओं ने डॉक्टर, बैंककर्मी शिक्षक जैसे पदों को सुशोभित किया है, आज वही विद्यालय सरकारी उपेक्षा का दंश झेल रहा है.

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