जादूगोड़ा. यूसिल के अधीन नरवा पहाड़ माइंस में कार्यरत ठेका मजदूरों की हालत दिनोंदिन बदतर होती जा रही है. एक ओर जहां पिछले साल अर्जित अवकाश की बकाया राशि को लेकर मजदूरों ने आंदोलन कर जीत हासिल की थी, वहीं अब माइंस के भीतर पांच प्रमुख यूनिटों के बंद होने से करीब 110 मजदूरों के सामने रोजगार का संकट खड़ा हो गया है. बंद यूनिटों में एसटीपी, सैंड स्टोरिंग, पंप ऑपरेशन, सिविल मेंटेनेंस शामिल हैं. इन इकाइयों में कार्यरत सभी मजदूर विस्थापित और प्रभावित गांवों से ताल्लुक रखते हैं. इनकी आजीविका पूरी तरह इसी कार्य पर निर्भर थी. फरवरी 2025 में एसडीओ धालभूम, जमशेदपुर कार्यालय में हुए त्रिपक्षीय समझौते में यह तय हुआ था कि मजदूरों को पूरे 365 दिन रोजगार दिया जायेगा. पर वर्तमान में प्रबंधन केवल 45 दिनों का काम डीओपी-28 के तहत उपलब्ध करा रही है. इसके बाद मजदूर बेरोजगार हो जाते हैं. नियमित टेंडर प्रक्रिया नहीं होने से हालात और बिगड़ते जा रहे हैं. इन्हीं समस्याओं को लेकर शनिवार सुबह माइंस गेट पर मजदूरों की गेट मीटिंग हुई. इसकी अध्यक्षता विस्थापित कमेटी के अध्यक्ष बुधराई किस्कु ने की, जबकि ठेका मजदूर यूनियन के अध्यक्ष सुधीर सोरेन, महासचिव विद्यासागर दास समेत कई प्रमुख कार्यकर्ता और दर्जनों मजदूर शामिल हुए. बैठक में तय हुआ कि 1 जुलाई को एक प्रतिनिधिमंडल धालभूम के एसडीओ से मिलकर समस्याओं को रखेगा और आगे की रणनीति तय की जायेगी. मजदूरों की वर्षों से मांग रही है कि उन्हें या तो स्थायी रोजगार मिले अथवा सालभर काम की गारंटी दी जाये. वर्तमान में न तो परमानेंट नौकरी मिल रही है और न ही ठेका कार्य का भरोसा बचा है. गेट मीटिंग में बलिया मुर्मू, सुनील हांसदा, विशु बास्के, कंदरा मुर्मू, शिबू मुर्मू समेत मजदूरों ने अपनी उपस्थिति दर्ज की. मजदूरों ने चेतावनी दी है कि यदि समय रहते ठोस निर्णय नहीं लिया गया, तो आंदोलन को उग्र रूप दिया जायेगा.
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