गालूडीह. धान का चारा (बिचड़ा) लगभग तैयार है. अब किसान धान रोपनी करेंगे. मुख्य बायीं नहर में अबतक चांडिल डैम से पानी नहीं छोड़ा गया है. वहीं, शाखा नहरों की सफाई नहीं हुई है. कई जगह शाखा नहर टूटी है. उसे दुरुस्त नहीं किया गया है. इससे नहर का पानी खेत तक पहुंचना मुश्किल होगा. इसे लेकर क्षेत्र के किसान चिंतित हैं. किसान सभा के नेता दुलाल चंद्र हांसदा, किसान निखिल रंजन महतो आदि ने पिछले दिनों मंत्री रामदास सोरेन से मुलाकात की थी. मंत्री ने सुवर्णरेखा परियोजना के मुख्य अभियंता राम निवास प्रसाद से दूरभाष पर बात की. जहां-जहां शाखा नहर टूटी है, उसे दुरुस्त करने व साफ-सफाई की बात कही थी. इस दिशा में परियोजना ने कुछ नहीं किया.
मुख्य बायीं नहर की शाखाओं की हालत खराब
किसानों ने कहा कि गुड़ाझोर और भूतियाकोचा के पास से मुख्य बायीं नहर से दो मुख्य शाखा नहर निकली है. दोनों की हालत खराब है. कचरा, जंगल-झांड़ियों से कई जगह शाखा नहर जाम है. कई जगह शाखा नहर टूटी है. ऐसे में पानी मुख्य नहर से छोड़ा भी जायेगा, तो खेतों तक पहुंचना मुश्किल होगा.रोपनी के लिए खेतों में 6-10 इंच पानी जरूरी
किसानों ने बताया कि बीच-बीच में बारिश होने से धान का चारा तैयार हो गया है. अब खेत में करीब छह से दस इंच पानी जमा होना चाहिए, तभी धान रोपनी शुरू हो पायेगी. किसान खेत जोत कर तैयार कर चुके हैं. अब इंतजार है जोरदार बारिश की. हालांकि खेतों में नमी आ गयी है. निचली जमीन में पानी भी जमने लगा है. हालांकि उत्तरी इलाकों के किसानों के लिए नहर ही आसरा है. बारिश बंद होने से नहर से धान की खेती बचती है.
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