गालूडीह. 15 अगस्त को दिल्ली में स्वतंत्रता दिवस समारोह में भाग लेने के बाद गालूडीह के मातूलडीह, हलुदबनी और धालभूमगढ़ के छह लोक कलाकार रविवार को जमशदपुर लौट आये. कलाकारों ने दिल्ली में पाता झुमुर की प्रस्तुति की. स्वतंत्रता दिवस पर आयोजित परेड में भाग लेने के बाद कलाकार राष्ट्रपति भवन गये, जहां वे राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिले. राष्ट्रपति और पीएम ने पाता झुमुर की प्रस्तुति को सराहा. लोक कलाकारों ने इस मौके पर शिल्पी भत्ता और अन्य समस्याओं को सरकार के समक्ष रखा. यह कार्यक्रम जमशेदपुर के बिष्टुपुर कला मंदिर के माध्यम से आयोजित किया गया, जहां से कलाकारों को झारखंड सरकार के लोक कला संस्कृति विभाग का बुलावा पत्र मिला था. कलाकार पहली बार दिल्ली गये थे. कलाकारों में मातूलडीह के रुपेन गोप, अलोका गोप, रानी गोप, गोरिया सबर, चुमकी सबर, गीता सोरेन शामिल थीं. इनमें पांच महिला और एक पुरुष कलाकार हैं. आर्थिक तंगी व गरीबी के बीच ये कलाकार अपने समर्पण भाव से लोक कला को जीवित रखे हुए हैं.
जमशेदपुर की आदिवासी बेटी गीता सोरेन बनीं बेटियों के लिए प्रेरणा :
जमशेदपुर की आदिवासी समाज से निकली एक साधारण युवती गीता सोरेन ने जीवन की चुनौतियों को अपनी ताकत बना लिया.बचपन से ही वे अपनी संस्कृति, परंपराओं और समुदाय से गहराई से जुड़ी रहीं. यही जुड़ाव उनके आत्मबल की नींव बना और आज उन्हें एक प्रेरणादायी व्यक्तित्व के रूप में खड़ा करता है. गत दो वर्षों में गीता सोरेन और उनकी टीम ने खूंटी और देवघर में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के समक्ष अपनी सांस्कृतिक प्रस्तुतियां दीं.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

