घाटशिला. रांची के सिरमटोली में फ्लाई ओवर रैंप के निर्माण से धार्मिक स्थलों को हो रहे नुकसान, आदिवासी अस्मिता और पेसा कानून के उल्लंघन जैसे मुद्दों पर झारखंड बंद का बुधवार को घाटशिला और आस-पास व्यापक असर रहा. घाटशिला और मऊभंडार की अधिकतर दुकानें बंद रहीं. सड़कें पर सन्नाटा रहा. बस, टेंपो और निजी वाहन नहीं दिखे. बंद का नेतृत्व आदिवासी बचाओ मोर्चा और भारत आदिवासी पार्टी समेत विभिन्न आदिवासी सामाजिक संगठनों ने किया.
सरना झंडा व बैनर-पोस्टर लेकर सड़क पर उतरे समर्थक:
बुधवार की सुबह सैकड़ों बंद समर्थक सरना झंडा और बैनर-पोस्टर लेकर सड़कों पर उतरे और शांतिपूर्ण प्रदर्शन किया. घाटशिला और मऊभंडार की पुलिस सक्रिय रही. मदन मोहन सोरेन ने कहा कि राज्य सरकार लगातार आदिवासियों की धार्मिक आस्था और संवैधानिक अधिकारों की अनदेखी कर रही है. पेसा कानून, सीएनटी और एसपीटी एक्ट का उल्लंघन हो रहा है. मरांग बुरु, लुगूबुरु, मुड़हर पहाड़, दिवरी दिरी जैसे धार्मिक स्थलों की सुरक्षा की उपेक्षा हो रही है. उन्होंने नियोजन नीति, शराबबंदी और झारखंडी भाषा-संस्कृति के संरक्षण को आदिवासी समाज के लिए जीवन-मरण का सवाल बताया. प्रदर्शन में सुनील बनसिंह, कार्तिक मुखी, इंद्रजीत मुंडा, मुकेश कर्मकार, संजय बेहरा, बहादुर सोरेन, अर्जुन विजय मुर्मू, गोपी मुर्मू, महेंद्र मुंडा, सुबोध मुंडा, बिरसा मुर्मू, सुखदार सिंह व कार्यकर्ता शामिल थेडिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है