राखा. हिंदुस्तान कॉपर लिमिटेड (एचसीएल) प्रबंधन के खिलाफ राखा कॉपर खदान के भूतपूर्व कर्मचारियों ने मंगलवार को प्लांट ऑफिस के सामने एक दिवसीय विशाल धरना दिया. पूर्व कर्मचारियों ने प्रबंधन पर पुराने वायदे पूरा नहीं करने का आरोप लगाया. चेतावनी दी कि अगर उनकी मांगों की अनदेखी हुई तो आंदोलन और तेज किया जायेगा.
धरना पर बैठे भूतपूर्व कर्मचारी हरेराम ओझा ने बताया कि जुलाई 2001 में करीब 701 कर्मचारियों और अधिकारियों को जबरन हटाकर खदान बंद कर दी गयी थी. उस समय प्रबंधन ने वादा किया था कि बंदी अवधि का बकाया एरियर दिया जायेगा और खदान दोबारा खुलने पर प्रत्येक पूर्व कर्मचारी के एक पुत्र को नौकरी दी जायेगी. अब 24 साल बाद खदान फिर से शुरू हुई है. वादे के अनुसार आश्रितों को नौकरी देने की बजाय बाहरी लोगों की भर्ती की जा रही है.नेताओं ने प्रबंधन को दी चेतावनी
धरना का नेतृत्व कमेटी के अध्यक्ष विश्वनाथ महतो, उपाध्यक्ष लिटाराम मुर्मू, महासचिव मनोज प्रताप सिंह, हरेराम ओझा और ओमियो महतो ने किया. मनोज प्रताप सिंह ने कहा कि पूर्व कर्मचारी और उनके आश्रितों को नियोजन में प्राथमिकता मिलनी चाहिए, अन्यथा आंदोलन उग्र होगा. बाहरी लोगों को किसी भी हालत में माइंस में प्रवेश नहीं करने दिया जायेगा.वार्ता के बाद बनी सहमति
करीब सात घंटे चले धरने के बाद हिंदुस्तान कॉपर लिमिटेड के वरिष्ठ अधिकारियों संग वार्ता हुई. वार्ता में एचसीएल की ओर से मुख्य प्रबंधक मानव संसाधन अर्जुन लोहरा, डीजीएम माइंस एनएस जागरे, एजीएम मैकेनिकल समीर कुमार और एचआर प्रभारी साकेत कुमार सहित अन्य अधिकारी शामिल हुए. वार्ता के बाद यह सहमति बनी कि भविष्य में जब भी बहाली होगी, पूर्व कर्मचारी व उनके आश्रितों को नजरअंदाज नहीं किया जायेगा. उन्हें नौकरी में प्राथमिकता दी जाएगी. वार्ता के बाद पूर्व कर्मचारी संतुष्ट नजर आए. हालांकि उन्होंने साफ कहा कि अब उनकी नजर एचसीएल के अगले कदम पर रहेगी. यदि प्रबंधन ने वायदे से मुकरने की कोशिश की तो आंदोलन को तेज किया जायेगा.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

