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East Singhbhum News : कला की विरासत बचा रहे कलाकारों को बुनियादी सुविधाओं का है इंतजार

घाटशिला. झारखंडी लोक कलाकारों का गांव मातूलडीह आज भी उपेक्षित

गालूडीह. घाटशिला प्रखंड की जोड़सा पंचायत का मातूलडीह गांव अपनी लोक कला के लिए प्रसिद्ध है. यहां मात्र 13 घर हैं, और हर घर का सदस्य लोक कलाकार है. कुल लगभग 60-70 लोगों की आबादी में आधे से अधिक पाटा झुमूर, कांठी नाच, करम, बाउल, जितिया, झुमुर, छऊ सहित विभिन्न लोक कलाओं के माहिर कलाकार हैं. सभी झारखंड मानभूम लोक संस्कृति संघ और गराम-धरम झुमुर आखड़ा से जुड़े हैं. गांव के कलाकार जब कार्यक्रम का निमंत्रण मिलता है, तो टीम बनाकर प्रस्तुतियां देते हैं, बाकी समय मजदूरी कर जीविका चलाते हैं. रात में वे नियमित रियाज भी करते हैं. इनके पास मादल, ढोल, हारमोनियम, ऑर्गन, बांसुरी, कैसिनियो सहित कई वाद्य यंत्र हैं, लेकिन इन्हें सुरक्षित रखने के लिए कोई भवन नहीं है. मजबूरी में वन भूमि पर जंगल के बीच एक झोपड़ी बनाकर वाद्य यंत्र रखे जाते हैं. गांव की हालत दयनीय है. बरसात में गांव की सड़क बह चुकी है. पीने के पानी के लिए न चापानल है, न जलमीनार. वर्षों पुराना एक जर्जर कुआं ही गांव की प्यास बुझाने का सहारा है, जिसका पानी बरसात में गंदा हो जाता है. खेती योग्य जमीन भी नहीं है. अधिकतर जमीन नहर में चली गयी, जो बची उसमें लोग घर बनाकर रहते हैं. गांव के इंद्रजीत गोप, सबिता गोप, लखी गोप, अलका गोप, सुरेश गोप, लखींद्र गोप, कालीपद गोप, विमल गोप, फुलका गोप, बांसती गोप, रूपेन गोप, रमेश गोप, सोनू गोप, सेफाली गोपस और मनोरंजन महतो बताते हैं कि अधिकतर ग्रामीणों को आवास योजना का लाभ नहीं मिला है. महिलाओं को मातृत्व योजना का लाभ भी बहुत कम मिला है. हालांकि, राशन की सुविधा उपलब्ध है.

बालू-ईंट की महंगाई से अटका सबरों का ‘जनमन’ सपना

घाटशिला में प्रधानमंत्री जनमन आवास योजना पर ग्रहण लग गया है. इसकी मुख्य वजह आसमान छू रही बालू, ईंट एवं गिट्टी की कीमत. दशकों से प्रखंड के आदिम जनजाति सबर एक आशियाने के लिए तरस रहे थे. आदिम जनजाति के सबरों का सपना पूरा करने के लिए सरकार प्रधानमंत्री जनमन योजना लेकर आयी. आवास योजना के लाभुकों ने अपने कच्चे मकान तोड़कर पक्का मकान बनाना शुरू क्या किया. इस बीच ईंट, बालू व गिट्टी की कीमत आसमान छूने लगी. इससे अब आवास अधूरा रह गया. बाघुड़िया पंचायत के गुड़ाझोर गांव निवासी सुंदरी सबर ने बताया कि उन्हें प्रधानमंत्री जनमन योजना के तहत आवास मिला है. करीब दो महीने पहले पहली किस्त के रूप में 30 हजार रुपये भेजी गयी है. लेकिन ईंट, बालू व गिट्टी की कीमत बढ़ने से आवास निर्माण कार्य शुरू नहीं हुआ है. उन्होंने बताया कि सोमवार को आवास निर्माण की स्थिति देखने बीडीओ यूनिका शर्मा उनके घर पहुंची. बीडीओ ने जल्द से जल्द आवास निर्माण के लिए दबाव दिया. बीडीओ द्वारा कहा गया कि अगर मकान निर्माण शुरू नहीं किया गया तो योजना से उनका नाम हटा दिया जायेगा. मालूम हो कि ईंट, बालू एवं गिट्टी की कीमत आसमान छूने के कारण लाभुकों को आवास निर्माण में दिक्कतें आ रही है. खासकर इससे विलुप्त होती आदिम जनजाति के सबर लाभुक खासे परेशान हैं.

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