चाकुलिया. श्रीमद् भागवत कथा के छठवें दिन मंगलवार को कथा व्यास आरती किशोरी ने गोपी गीत, रासलीला, मथुरा गमन, कंश बध और रुक्मणि विवाह का प्रसंग सुनाया. बताया कि रास तो जीव का शिव से मिलन की कथा है. व्यक्ति की सुंदरता उसके चेहरे से नहीं हृदय से होता है. चहरे की सुंदरता से मनुष्य खुश होते है और हृदय की सुंदरता से तो भगवान खुश होते है. रासलीला का मूल संदेश आत्मा और परमात्मा के मिलन है. गोपियों का प्रेम सांसारिक प्रेम नहीं बल्कि एक शुद्ध भक्तिभाव है. भगवान कृष्ण ने इस लीला के माध्यम से गोपियों के मन से अभिमान को दूर करने का प्रयास किया. कंस वध प्रसंग सुनाते हुए कहा कि कंस को यह पता था कि उसका वध श्रीकृष्ण के हाथों ही होना निश्चित है. रुक्मिणी विवाह में जरासंध और शिशुपाल को भी विवाह के लिए आमंत्रित किया गया था. जैसे ही यह खबर रुकमणी को पता चला तो उन्होंने दूत के माध्यम से अपने दिल की बात श्रीकृष्ण तक पहुंचाई अंततः श्री कृष्ण रुकमणी से विवाह करने में सफल रहे. कृष्ण रुक्मणि विवाह की झांकी भी प्रस्तुत किया गया. भजनों की प्रस्तुति देकर श्रद्धालुओं को खूब झुमाया. मौके पर पतित पावन दास, दिलीप कुमार दास (लिली), बिपलब दास, रंजीत दास (छोटा), लक्ष्मी नारायण दास, विशाल बारीक, चंद्रदेव महतो, गिरधारी महतो, पशुपति बेरा, देवदास पांडा, रंजीत दास, तारकनाथ दास (भोला), कृष्ण चंद्र बेरा, विजय मिश्रा, राजेश दास, भोलानाथ दास, मानवेंद्र पांडा, उत्पल पांडा, देवाशीष दास, पंकज दास, अजय रुंगटा, आरती देवी, शारदा देवी समेत काफी संख्या में भक्त मौजूद थे. कथा सुनने के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ रही है.
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