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ग्रामीण क्षेत्र में पानी के लिए जद्दोजहद

गालूडीह : भीषण गरमी में गालूडीह थाना क्षेत्र का ग्रामीण इलाका पानी के लिए बेहाल है. खास कर बीहड़ गांवों के लोग अपनी प्यास बुझाने के लिए पहाड़ी झरना पर ही आश्रित है. बाघुड़िया पंचायत के डुमकाकोचा, मिर्गीटांड़, झाटीझरना पंचायत के भुमरू, टेरापानी, श्यामनेगी, फूलझोर आदि कई ऐसे गांव है, जहां के ग्रामीण पहाड़ी झरना […]

गालूडीह : भीषण गरमी में गालूडीह थाना क्षेत्र का ग्रामीण इलाका पानी के लिए बेहाल है. खास कर बीहड़ गांवों के लोग अपनी प्यास बुझाने के लिए पहाड़ी झरना पर ही आश्रित है. बाघुड़िया पंचायत के डुमकाकोचा, मिर्गीटांड़, झाटीझरना पंचायत के भुमरू, टेरापानी, श्यामनेगी, फूलझोर आदि कई ऐसे गांव है, जहां के ग्रामीण पहाड़ी झरना और दो पहाड़ों के बीच खाल से ही अपनी प्यास बुझाते हैं.

फूलझोर गांव में तो ब्रिटिश हुकूमत के समय बने सुरंग के झरने से ग्रामीण पीने का पानी लाते हैं. ग्रामीणों के अनुसार कहने तो चापानल है, परंतु अधिकांश चापानल से पानी नहीं निकलता. एक-दो चापानल ठीक भी है तो पीने लायक पानी नहीं है, इसलिए झरने का पानी पीते हैं.

सुबह और शाम में झरना और खाल से पानी लाने के लिए बच्चे से लेकर बूढ़े तक जद्दोजहद करते हैं. वर्तन, हंडी लेकर जाते है और पीने का पानी भर कर घर तक लाते हैं. इतना ही नहीं नहाने के लिए भी ग्रामीणों को परेशानी उठानी पड़ती है. मिर्गीटांड़ समेत कई गांव ऐसे हैं, जहां कोई तालाब नहीं है.

वहां के ग्रामीण झरने के पानी को पत्थर और मिट्टी देकर बांधा है, जहां जमे पानी से नहाते हैं. कुछ गांव के लोग कोसों दूर चल कर पहाड़ी नदी जाते हैं और नहाते हैं. इंसान के साथ-साथ उक्त गांवों में बैल, बकरियों को पीने का पानी नहीं मिल पा रहा है. ग्रामीण कहते हैं कि जानवरों को भी साथ ले कर झरना जाते हैं.

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