किसी तरह तीन घंटे बाद खदान से बाहर निकले, तबीयत बिगड़ी
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गैस व धुआं के बीच तीन घंटे तक फंसे रहे सात ब्लास्टर बीमार पड़े
किसी तरह तीन घंटे बाद खदान से बाहर निकले, तबीयत बिगड़ी आइसीसी वर्कर्स अस्पताल में सहायक और ब्लास्टरों का हुआ इलाज मुसाबनी : एचसीएल की सुरदा खदान में 22 अगस्त की सुबह पाली में बिजली नहीं रहने के कारण ब्लास्टिंग के बाद बारूद की धुआं व गैस के बीच पांच सहायक ब्लास्टर और दो ब्लास्टर […]
आइसीसी वर्कर्स अस्पताल में सहायक और ब्लास्टरों का हुआ इलाज
मुसाबनी : एचसीएल की सुरदा खदान में 22 अगस्त की सुबह पाली में बिजली नहीं रहने के कारण ब्लास्टिंग के बाद बारूद की धुआं व गैस के बीच पांच सहायक ब्लास्टर और दो ब्लास्टर फंस गये. किसी तरह बचते हुए सभी सीढ़ी के सहारे पांच लेबल पर पहुंचे. यहां से स्किप के माध्यम से घटना के करीब तीन घंटे बाद खदान से बाहर निकल सके. खदान के बाहर आते ही सभी की स्थिति बिगड़ गयी.
प्राथमिक उपचार के बाद सोमाय हांसदा, मंजीत भकत, शंकर भकत और रूपा भकत को मऊभंडार आइसीसी वर्कर्स अस्पताल लाया गया. अस्पताल में चिकित्सा के बाद रात में सभी को छुट्टी दे दी गयी. घटना 22 अगस्त की दोपहर 2 बजे खदान के 11वें लेबल पर स्टॉप 130 और 180 में हुई. दरअसल बिजली नहीं रहने से वेंटीलेशन काम नहीं कर रहा था. इस कारण खदान में साफ हवा नहीं आ पा रही थी. वहीं गैस व धुआं बाहर नहीं जा पा रही थी.
गुरुवार की सुबह दोबारा मजदूरों को हुई बेचैनी : गुरुवार की सुबह उन्हें दोबारा बेचैनी हुई तो सोमाय हांसदा, रूपा भकत, मंजीत भकत, काजल दास और शंकर भकत को प्रबंधन ने एंबुलेंश से मऊभंडार वर्कर्स अस्पताल इलाज के लिए भेजा. अस्पताल में डॉ श्रीमती वर्मन ने सभी का इलाज किया. इलाज के बाद जब स्थिति में सुधार हुआ, तो सभी को शाम चार बजे छुट्टी दे दी गयी.
मजदूरों ने लगाया प्रबंधन पर मनमानी का आरोप : मजदूरों ने प्रबंधन पर मनमानी तरीके से उत्पादन करने का आरोप लगाया है. वहीं घटना की जांच की मांग करते हुए दोबारा ऐसा न हो इसलिए कारगर उपाय करने की मांग की है. इस संबंध में एचसीएल के सुरदा खदान के सहायक प्रबंधक विकास सिंह से जानकारी लेने पर कहा कि अचानक बिजली चले जाने के कारण सिस्टम फेल हो जाने से घटना हुई. श्री सिंह ने कहा कि सभी को बेहतर इलाज की व्यवस्था की गयी है. सभी की हालत अभी बेहतर है.
बिजली नहीं रहने पर वैकल्पिक व्यवस्था नहीं
घटना ने सुरदा में सुरक्षा के मानकों की पोल खोल दी है. कोई बड़ी दुर्घटना खदान में अंदर होती है, तो खदान के अंदर से घायल को बाहर निकला कर इलाज के लिए अस्पताल पहुचाने में घंटों का समय लग जायेगा. सुरदा खदान में बिजली चले जाने पर वैकल्पिक व्यवस्था नहीं है. खदान के अंदर बिजली जाने के बाद ब्लास्टिंग का आदेश कैसे दिया गया. इसकी जांच होनी चाहिए. ठीक इसी समय खदान के सात और आठ नंबर लेबल के स्टॉप 130 और 180 में ब्लास्टिंग हुआ था. कार्बन डाईऑक्साइड गैस नीचे के 11 वें लेबल में आकर परेशानी बढ़ा दी थी.
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