संवाददाता, दुमका. सिदो कान्हू मुर्मू विश्वविद्यालय से पीएचडी कर रहे सभी शोधार्थियों को अपनी शोध प्रगति रिपोर्ट अनिवार्य रूप से विश्वविद्यालय के परीक्षा विभाग में जमा करनी होगी. इस संबंध में कुलपति के निर्देश पर परीक्षा नियंत्रक ने विवि के विभिन्न स्नातकोत्तर विभागों के विभागाध्यक्षों को पत्र भेज दिया है. निर्देश है कि विभाग के सभी पीएचडी शोधार्थियों की शोध प्रगति के संबंध में विभागीय स्तर पर सेमिनार आयोजित करायी जाए. उसी सेमिनार के आधार पर तैयार की गयी प्रगति रिपोर्ट को परीक्षा विभाग में निर्धारित फॉर्मेट में जमा करना अनिवार्य होगा. परीक्षा विभाग ने पत्र के साथ उक्त फॉर्मेट को भी साझा किया है. प्रगति सेमिनार में संबंधित संकायाध्यक्ष, विभागाध्यक्ष, शोध पर्यवेक्षक और विषय शिक्षकों की उपस्थिति अनिवार्य होगी. विश्वविद्यालय ने यह व्यवस्था शोध की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के उद्देश्य से की है. अब प्रत्येक तीन माह पर सभी शोधार्थियों को अपनी प्रगति विभागीय रिसर्च कमेटी के समक्ष प्रस्तुत करनी होगी, जिसकी रिपोर्ट विभागाध्यक्ष द्वारा परीक्षा विभाग में भेजी जाएगी. उल्लेखनीय है कि झारखंड के अन्य विश्वविद्यालयों में यह व्यवस्था पहले से ही लागू है. एसकेएमयू द्वारा हाल के वर्षों में शोध की गुणवत्ता में सुधार हेतु कई पहलें की गयी हैं, जैसे- साहित्यिक चोरी की जांच के लिए नवीन और उन्नत सॉफ्टवेयर का प्रयोग, पीएचडी रजिस्ट्रेशन के बाद सिनॉप्सिस को “शोधगंगोत्री ” और पीएचडी अवार्ड के पश्चात थीसिस को “शोधगंगा ” पोर्टल पर अपलोड करना. इसके अतिरिक्त विश्वविद्यालय ने जेआरएफ फेलोशिप प्राप्त कर रहे शोधार्थियों के लिए एसआरएफ में अपग्रेडेशन हेतु बाह्य विशेषज्ञ की उपस्थिति में अपग्रेडेशन सेमिनार आयोजित करने का निर्देश भी दिया है. बाह्य विशेषज्ञ की नियुक्ति कुलपति द्वारा की जाएगी. वर्तमान में विश्वविद्यालय में लगभग दस शोधार्थी जेआरएफ फेलोशिप प्राप्त कर रहे हैं, जिनमें से अब तक केवल तीन संताली विभाग के शोधार्थियों का एसआरएफ में अपग्रेड हुआ है, जबकि नियमानुसार दो वर्षों के तुरंत बाद यह प्रक्रिया पूरी हो जानी चाहिए, यदि शोध कार्य संतोषजनक पाया जाए. यह कदम विश्वविद्यालय के शोध क्षेत्र में गुणवत्ता सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास माना जा रहा है.
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