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दुमका : फूलो झानो मेडिकल कॉलेज में फैकल्टी की कमी से पठन-पाठन प्रभावित, छात्र परेशान

पीजेएमसीएच के प्रिंसिपल डॉ अरुण कुमार चौधरी ने कहा कि मेडिकल कॉलेज के मेडिसिन, सर्जरी, नेत्र, ऑर्थो, स्किन, रेडियोलॉजी समेत कई विभाग में प्रोफेसर का पद रिक्त हैं. केवल बायोकेमिस्ट्री, डेंटल, इएनटी, ऑब्स गायनी, फार्मकलक्जी, फिजियोलॉजी में प्रोफेसर हैं.

दुमका : स्थापना के चार साल बाद भी फूलो झानो मेडिकल कॉलेज फैकल्टी की भयावह कमी से जूझ रहा है. यहां मेडिकल के छात्रों को पढ़ाने के लिए पर्याप्त संख्या प्राध्यापक नहीं हैं. इसका असर छात्र-छात्राओं की पढ़ाई पर पड़ रहा है. सृजित पदों के अनुरूप पदस्थापन नहीं रहने से पठन-पाठन किस तरह से प्रभावित हो रही होगी. गुणवत्ता कैसी होगी. यह सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है. यहां प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर, असिस्टेंट प्रोफेसर के 62 पद रिक्त हैं. यहां प्रोफेसर के 22, एसोसिएट प्रोफेसर के 27 और असिस्टेंट प्रोफेसर के 40 पद स्वीकृत हैं. बावजूद इसके यहां प्रोफेसर के 16, एसोसिएट प्रोफेसर के 20 और असिस्टेंट प्रोफेसर के 26 पद रिक्त चल रहे हैं. इन हालात में जहां फैकल्टी की कमी से मेडिकल के छात्रों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है. वहीं विशेषज्ञ डॉक्टर के न होने से मरीजों को भी परेशानी हो रही है.


क्या कहना है प्रिंसपल और सुपरिटेंडेंट का

पीजेएमसीएच के प्रिंसिपल डॉ अरुण कुमार चौधरी ने कहा कि मेडिकल कॉलेज के मेडिसिन, सर्जरी, नेत्र, ऑर्थो, स्किन, रेडियोलॉजी समेत कई विभाग में प्रोफेसर का पद रिक्त हैं. केवल बायोकेमिस्ट्री, डेंटल, इएनटी, ऑब्स गायनी, फार्मकलक्जी, फिजियोलॉजी में प्रोफेसर हैं. असोसिएट प्रोफेसर, असिस्टेंट प्रोफेसर, सीनियर रेजिडेंट और ट्यूटर छात्र-छात्राओं को पढ़ा रहे हैं. चिकित्सक अपने कार्य के साथ शैक्षणिक कार्य भी कर रहे हैं. वहीं एचओडी मेडिसिन सह सुपरिटेंडेंट डॉ अनुकरण पूर्ति ने बताया कि मेडिसिन विभाग में चिकित्सकों की कमी है. विभाग में जितने चिकित्सक हैं. वे क्लिनिकल काम करने के साथ क्लिनिकल टीचिंग, थ्योरी और प्रेक्टिकल की पढ़ाई करा रहे हैं. विभाग में एक एसोसिएट प्रोफेसर सह विभागाध्यक्ष व दो सीनियर रेजिडेंट के एक फिजिशियन पढ़ाई करा रहे हैं.

ब्यॉयज मेस दो माह से बंद, दो सौ छात्रों को हो रही परेशानी

दुमका के फूलो झानो मेडिकल कॉलेज में बॉयज मेस दो माह से बंद है. छात्रों को परिसर से दूर होटल या ऑनलाइन डिलिवरी का सहारा लेना पड़ रहा है. पढ़ाई की प्रभावित हो रही है. बता दें कि मेडिकल कॉलेज में पढ़ाई कर रहे छात्र-छात्राओं के लिए अलग मेस की सुविधा है. संचालन की जिम्मेवारी दो महिलाओं को सौंपी गयी है. वर्तमान में गर्ल्स मेस और कैफेटेरिया का संचालन हो रहा है. इस बाबत प्राचार्य डॉ अरुण कुमार चौधरी ने बताया कि मेस बंद होने के पीछे कुछ छात्रों की गलती है. तो कुछ परेशानी संचालिका की ओर से हुई है. टेंडर लेने के लिए जो दर तय थे, उस दर में मेस चलाना उनके लिए भारी पड़ रहा है. छात्रों की शिकायत है कि सही भोजन नही मिलता है. क्वालिटी मेंटेन नहीं रहता है. इसलिए वे समय पर पेमेंट नहीं करते हैं. एजेंसी को भी परेशानी हो रही है. जल्द ही मेस शुरू कर दिया जायेगा. निष्कर्ष नहीं निकलने पर फिर से टेंडर निकाला जायेगा.

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