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बुद्ध पूर्णिमा पर शंख व घंटा ध्वनि गुंजायमान रहा बासुकिनाथ मंदिर परिसर

वैशाख पूर्णिमा पर बासुकिनाथ मंदिर में भक्तों की भीड़ उमड़ी. 80 हजार श्रद्धालुओं ने फौजदारीनाथ का जलार्पण किया.

बासुकिनाथ. वैशाख पूर्णिमा के अवसर पर गुरुवार को बाबा फौजदारीनाथ दरबार में श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रही. बुद्ध पूर्णिमा पर सुबह से ही जलार्पण का सिलसिला शुरू हुआ और शाम तक चलता रहा. भक्तों ने बाबा फौजदारीनाथ की पूजा कर सुख-समृद्धि की कामना की. पूर्णिमा के पावन अवसर पर दिन के ढाई बजे तक व उसके बाद सात बजे संध्या से प्रांगण में शंख ध्वनि, घंटा की आवाज से मंदिर परिसर गुंजायमान रहा. करीब 80 हजार शिवभक्तों ने भोलेनाथ पर जलार्पण किया. वैदिक मंत्रोच्चार के साथ पंडितों द्वारा षोडशोपचार विधि से पूजा-अर्चना की गयी. भक्तों ने स्पर्श पूजा कर भगवान भोलेनाथ से सुख-समृद्धि की कामना की. तीन बजे भोर से मंदिर प्रांगण में भक्तों का तांता लगा रहा. सरकारी पूजा के बाद मंदिर गर्भगृह का गेट भक्तों के लिए खोल दिया गया. श्रद्धालुओं ने पवित्र शिवगंगा में आस्था की डुबकी लगाकर बाबा फौजदारीनाथ की पूजा-अर्चना की. पूर्णिमा को स्नान करने का विशेष धार्मिक महत्व है. पंडित सुधाकर झा ने बताया कि पूर्णिमा के दिन जो भी सच्चे मन और विश्वास के साथ भोलेनाथ की पूजा-अर्चना करते हैं, उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है. सम्पूर्ण मंदिर परिसर हर हर महादेव के नारे से गुंजायमान रहा. बिहार, बंगाल व झारखंड के विभिन्न जिलों से पहुंचे भक्तों की भीड़ यहां देखी गयी. गर्भगृह गेट पर श्रद्धालुओं को नियंत्रित करने के लिए पुलिस बल लगे रहे. पूर्णिमा पर भक्तों ने गर्भगृह में भगवान भोलेनाथ की प्रार्थना की. कतारबद्ध भक्तों ने भोलेनाथ पर जल-पुष्प अर्पित किया. मंदिर निकास गेट पर स्वास्थ्य जांच के लिए स्वास्थ्य शिविर लगाया गया. आने वाले भक्तों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए कई तरह के प्रबंध किए, ताकि भक्त आसानी से भगवान भोलेनाथ के दर्शन कर सकें. मंदिर कार्यालय से सीसीटीवी की मदद से मंदिर की व्यवस्था पर अधिकारियों ने नजर रखी. मौके पर मंदिर में श्रद्धालुओं के सुविधार्थ जरमुंडी एसडीपीओ संतोष कुमार, मंदिर प्रभारी सह सीओ आशुतोष ओझा, पुलिस निरीक्षक सत्यम कुमार, एसआई सुशील कुमार आदि लगे रहे.

पूर्णिमा पर दान, स्नान से मोक्ष की प्राप्ति :

सनातन धर्म में वैशाख महीने में पड़ने वाली पूर्णिमा तिथि का खास महत्व होता है. इसे पीपल पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है और इस दिन बुद्ध पूर्णिमा भी मनायी जाती है. पूर्णिमा के पावन अवसर पर किये गये दान, नदी तथा किसी पवित्र सरोवर में स्नान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है. इस मान्यता से मंदिर प्रांगण में श्रद्धालुओं ने ब्राह्मणों को दान-पुण्य किया. पंडितों ने बताया कि वैशाख पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा-अर्चना करने से सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती है. शिवभक्तों ने मंदिर प्रांगण में कई तरह के धार्मिक अनुष्ठान भी किये. मंदिर प्रांगण में भक्तों ने मुंडन संस्कार भी कराया. सूर्योदय से पूर्व महिला-पुरुष श्रद्धालुओं ने शिवगंगा में स्नान कर अपने आराध्य देव भगवान शंकर की स्तुति कर मोक्ष की मंगलकामना की.

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