दुभार्ग्यपूर्ण. जिले के कई प्रखंडों के लिये नहीं है एंबुलेंस की सुविधा
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दुमका के 13.5 लाख की आबादी के लिये महज 11 एंबुलेंस
दुभार्ग्यपूर्ण. जिले के कई प्रखंडों के लिये नहीं है एंबुलेंस की सुविधा दुमका : जिले की आबादी लगभग साढ़े तेरह लाख है. इतनी बड़ी आबादी के लिये दुमका जिले में एंबुलेंस महज 11 है. पांच एंबुलेंस सदर अस्पताल में रहता है, जहां पूरे जिले नहीं आसपास के इलाकों से भी रेफर किये हुए मरीज लाये-ले […]
दुमका : जिले की आबादी लगभग साढ़े तेरह लाख है. इतनी बड़ी आबादी के लिये दुमका जिले में एंबुलेंस महज 11 है. पांच एंबुलेंस सदर अस्पताल में रहता है, जहां पूरे जिले नहीं आसपास के इलाकों से भी रेफर किये हुए मरीज लाये-ले जाये जाते हैं. इनमें से भी कुछ वीआइपी के एस्कार्ट सेवा में रहते हैं. शेष छह एंबुलेंस प्रखंडों के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में रखे गये हैं. जिसका लाभ जरमुंडी, काठीकुंड, रानीश्वर, सरैयाहाट, गोपीकांदर व शिकारीपाड़ा के लोगों को मिल रहा है. इन जगहों पर सरकारी स्तर पर हाल में उपलब्ध कराये गये मारुति इक्को एंबुलेंस है.
मसलिया, जामा व रामगढ़ के लिये एंबुलेंस नहीं
मसलिया, जामा और रामगढ़ ऐसे प्रखंड हैं, जहां एक भी सरकारी एंबुलेंस नहीं है. ये तीनों ही प्रखंड अलग-अलग मार्ग पर है, जहां सड़क हादसे भी खूब हुआ करते हैं. एंबुलेंस के अभाव में मरीज को पुलिस या तो अपनी गाड़ी में लादकर या फिर किसी चौपहिया वाहन को रोकवाकर अस्पताल पहुंचाती है. ऐसे में मरीज की हालत बिगड़ती चली जाती है और अंतत: कई बार मौत भी हो जाया करती है. इसलिये जरूरत है कि अगर चिकित्सिक व्यवस्था में सरकार सुधार करे तो लोगों की इलाज के अभाव में होने वाली मौत में कमी आयेगी.
रामगढ़ को आवंटित हुआ पर मिला नहीं
खबर है कि पिछले साल स्वास्थ्य, चिकित्सा शिक्षा एवं परिवार कल्याण विभाग ने पिछले साल प्रखंड मुख्यालयों के लिए जब एंबुलेंस उपलब्ध कराया था, तब दुमका को पांच मारुति इक्को एंबुलेंस आवंटित किया गया था. चार एंबुलेंस इस जिले को मिले, पर रामगढ़ प्रखंड को आवंटित एंबुलेंस आज तक नहीं मिला.
जिले में एक भी मार्चरी वैन नहीं
दुमका जिले में एक भी मार्चरी वैन नहीं है. मार्चरी वैन नहीं रहने से शवों को गंतव्य स्थान तक पहुंचाने के लिए भी एंबुलेंस का ही उपयोग करना पड़ता है. एंबुलेंस की उपलब्धता नहीं होती, तो लोग किराये पर किसी दूसरे कामर्सियल वाहन रिजर्व करते है. दुमका में मार्चरी वैन की मांग कई संगठनों ने उठायी है. स्वास्थ्य विभाग ने भी अपने मुख्यालय से इस बाबत पत्राचार किया है, लेकिन कोई फलाफल सामने नहीं आया है.
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