दुमका : संताल चैम्बर ऑफ काॅमर्स के महासचिव आलोक कुमार मल्लिक ने बजट पूर्व संगोष्ठी के दौरान मुख्यमंत्री रघुवर दास को ज्ञापन सौंपकर संतालपरगना क्षेत्र में व्यवसायिक गतिविधियों के विकास से संबंधित सुझावों से अवगत कराया है तथा मजदूरों के पलायन रोकने के लिए सेज घोषित कर औद्योगिककरण को बढ़ावा देने की मांग की है.
वर्तमान औद्योगिक नीति में संतालपरगना के अधिकतर क्षेत्रों को बी श्रेणी में रखा गया है, जिसे पूर्व की तरह सी श्रेणी में लाने की मांग की गयी. उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए भूमि बैंक के लिए बजटीय प्रावधान करने, जसीडीह, दुमका व जामताड़ा में आधारभूत संरचना विकसित कर खाली व अनुपयुक्त प्लॉटों का पुन:
आवंटन शुरु कराने, साहिबगंज में उपलब्ध 200 एकड़ सरकारी जमीन को औद्योगिक क्षेत्र के रुप में चिन्हित करने, देवघर में प्रस्तावित फूड पार्क, प्लास्टिक पार्क, इलेक्ट्रोनिक पार्क तथा अल्ट्रामेगा पावर प्रोजेक्ट अविलंब शुरु कराने, गोड्डा में प्रस्तावित बड़े उद्योगों की स्थापना, संताल परगना में पर्यटन के विकास करने, मधुपुर-देवघर-बासुकिनाथ-मलुटी-तारापीठ-साहिबगंज पर्यटन सर्किट बनाने की मांग की गयी.
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संताल परगना चैम्बर ऑफ काॅमर्स के महासचिव ने सीएम को साैंपा ज्ञापन
46 संबद्ध कॉलेजों को अंगीभूत करने की मांग
संबद्ध डिग्री महाविद्यालय महासंघ ने राज्य के 46 संबद्ध कॉलेजों को अंगीभूत करने एवं वर्ष 2016-17 के बजट में शामिल करने की मांग की. महासंघ की ओर से डॉ अब्दुल रइस खान, प्रो प्रमोद कुमार झा एवं प्रो गजेंद्र कुमार सिंह ने संयुक्त रुप से मुख्यमंत्री रघुवर दास को ज्ञापन सौंपा. शिक्षकों ने कहा कि अगर राज्य सरकार ने बजटीय प्रावधान करते हुए इन कॉलेजों को अंगीभूत किया, तो उच्च शिक्षा के क्षेत्र में क्रांतिकारी कदम साबित होगा.
प्राथमिक शिक्षकों ने मांगी प्रोन्नति
झारखंड राज्य प्राथमिक शिक्षक संघ की ओर से महिला शाखा की अध्यक्ष पूनम भगत ने भी मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपा और प्राथमिक शिक्षकों को उत्क्रमित स्नातक प्रशिक्षित पदों यथा भाषा के 101, कला के 60 एवं विज्ञान के 56 पुराने रिक्त पदों पर प्रोन्नति देने की मांग की. कहा गया कि उत्क्रमित पदों में से आधे मं सीधी नियुक्ति हो चुकी है और आधे पदों पर प्रोन्नति देने में जिला शिक्षा
अधीक्षक के स्तर से आनाकानी की जा रही है. जिला शिक्षा अधीक्षक द्वारा जारी वरीयता सूची में प्रोन्नति नियमावली 1993 के उल्लंघन तथा ध्यानाकृष्ट कराये जाने के बाद भी सुधार नहीं किये जाने का आरोप लगाया गया है. शिक्षकों ने सप्तम वेतन आयोग की सिफारिश के अनुरुप भी वेतन देने की मांग की है.