रोष. एसपीटी-सीएनटी में बदलाव के बयान पर भड़के आदिवासी
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लोइस व हेमलाल का पुतला जलाया
रोष. एसपीटी-सीएनटी में बदलाव के बयान पर भड़के आदिवासी एक्ट विकास में बाधक होता तो सड़क, कल कारखाने व डैम नहीं आते अस्तित्व में : ग्रामीण कहा, डॉ लोइस व हेमलाल मुर्मू आदिवासी विरोधी बिरसा मुंडा, सिदो-कान्हू जैसे असंख्य आदिवासियों की कुर्बानी की बदौलत बना यह कानून विकास में बाधक नहीं दुमका : दिसोम मारांग […]
एक्ट विकास में बाधक होता तो सड़क, कल कारखाने व डैम नहीं आते अस्तित्व में : ग्रामीण
कहा, डॉ लोइस व हेमलाल मुर्मू आदिवासी विरोधी
बिरसा मुंडा, सिदो-कान्हू जैसे असंख्य आदिवासियों की कुर्बानी की बदौलत बना यह कानून विकास में बाधक नहीं
दुमका : दिसोम मारांग बुरु युग जाहेर आखड़ा, दिसोम मांझी मांझी थान आर जाहेर थान समिति और दिसोम मारंग बुरु संताली अरीचली आर लेगचार आखड़ा के संयुक्त तत्वावधान में मंगल मुर्मू की अध्यक्षता में जामा प्रखंड के कुकुरतोपा गांव में बैठक की गयी, जिसमें ग्रामीणों ने सीएनटी व एसपीटी एक्ट के संशोधन का अध्यादेश, स्थानीय नीति, हॉस्पिटल आदि के निजीकरण आदि पर चर्चा की गयी. पूर्व विधायक हेमलाल मुर्मू द्वारा एसपीटी-सीएनटी एक्ट में संशोधन से आदिवासियों को लाभ होने संबंधी बयान पर ग्रामीणों और संगठनों ने कड़ा विरोध किया.
दुमका विधायक सह कल्याण मंत्री डॉ लोइस मरांडी द्वारा इस परिवर्तन को समय की मांग व विकास के लिए जायज बताये जाने पर भी क्षोभ जताया. ग्रामीणों ने कहा कि बिरसा मुंडा, सिदो-कान्हू जैसे असंख्य आदिवासियों की कुर्बानी की बदौलत बने ये कानून कहीं भी विकास में बाधक नहीं है. इस नियम के रहते ही कई बड़े-बड़े कल कारखाने, डैम, बांध, रेलमार्ग आदि बने हैं. आज पूरे झारखंड में सड़क का जाल बिछा हुआ है. अगर ये नियम विकास में बाधक होता तो बड़े-बड़े कल कारखाने, डैम, बांध, सड़क, स्कूल, कॉलेज, अस्पताल, रेलमार्ग आदि का अस्तित्व नहीं होता. विकास के नाम पर आदिवासी और गरीबों को सदा से बेघर किया जाता रहा है. झारखंड में कई जगहों पर विस्थापितों को अभी तक न्याय नहीं मिला है. ग्रामीणों ने कहा कि कल्याण मंत्री डॉ लोइस मरांडी और पूर्व विधायक हेमलाल मुर्मू का नजरिया निराशाजनक व आदिवासी विरोधी है. दोनों नेताओं को भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ताला मरांडी, शिव शंकर उरांव और गंगोत्री कुजूर के बयान पर गौर करना चाहिए. ग्रामीणों ने कहा कि शिवशंकर उरांव व गंगोत्री कुजूर जब कह रही हैं कि टीएसी की बैठक में धोखा हुआ है. अध्यादेश पर न तो बहस हुई और न ही फैसला लिया गया, तब टीएसी की उपाध्यक्ष के रूप में डॉ लोइस को स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए. ग्रामीणों ने स्थानीयता को निरस्त कर 1932 खतियान के आधार पर स्थानीय नीति की घोषणा करने की भी मांग उठायी. इन मुद्दों को लेकर अपने आक्रोश का इजहार करते हुए ग्रामीणों ने डॉ लोइस व हेमलाल मुर्मू का पुतला दहन भी किया. इस दौरान सिदो मुर्मू, सरजन किस्कू, नीलमुनी हेम्ब्रम, जोबा टुडू, लुखी मुर्मू, मर्शिला मुर्मू, लुखी मरांडी, रूथ मरांडी, फुलमुनी मरांडी, छोटा मुर्मू, लुखीराम मुर्मू, मदन हांसदा, छोटेलाल सोरेन, बाबूराम मुर्मू, डेह मरांडी, होपोनटी टुडू, सुकलाल मुर्मू, संतोष मरांडी, लुखी मुर्मू, सुचीन राणा, सुशील मुर्मू, मुलेंदर हांसदा, सुशील सोरेन, सुनीराम टुडू, रसमुती किस्कू, बिटी टुडू, सूरज टुडू उपस्थित थे.
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