लोगों को दु:ख पहुंचाना सबसे बड़ा पाप : स्वामी प्रभंजनानंद प्रतिनिधि, दुमकालोगों को दु:ख पहुंचाना सबसे बड़ा पाप है. लोगों को हमेशा यह प्रयास करना चाहिए कि उनके माध्यम से किसी को कोई दु:ख न पहुंचे. बल्कि मनुष्यों को तो यह कोशिश करनी चाहिए कि वे कैसे इस संसार में फैले अंधकार रूपी अज्ञानता व वकृत दुगुर्णो को राम नाम के प्रकाश से दूर करें. उक्त बातें अयोध्या निवासी स्वामी प्रभंजनानंद रसिकपुर के बड़ाबांध में आयोजित श्रीराम कथा में कही. स्वामी जी ने आगे उपस्थित श्रद्धालुओं से अपील की कि लोग देश व समाज की उसी प्रकार सेवा करें, जिस योग्य उसे भगवान ने बनाया है. आगे स्वामी जी ने रामकथा के लाभ के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि इस कथा के श्रवण मात्र से प्राणी जगत को परमात्मा से आत्मा के मिलन का आत्मबोध होता है. साथ ही मानव को मानवता का संस्कार सिखाकर राग व द्वेशों से मुक्त कराते हैं और जीवन में व्याप्त विकारों को समाप्त कर इसे ईश्वर चरणों में समर्पित करती है. इधर महाराज ने मनुष्यों को बंधन और मोक्ष का अंतर स्पष्ट किया, उन्होंने बताया कि मन ही मोक्ष का कारण है, यदि इसे संसारिक गतिविधियों में लगाया तो बंधन में बंध जायेंगे और परमात्मा की ओर मोड़ लिया, तो मुक्ति मिल जायेगी. श्रीराम कथा के दौरान महाराज जी ने लोगों को क्रोध करने से बचने और क्रोध में कोई निर्णय ना लेने की भी बात बतायी और कहा कि क्रोध से भ्रम पैदा होता है और भ्रम से बुद्धि व्यग्र हो जाती है, जब बुद्धि व्यग्र हो जाती है, तो तर्क नष्ट हो जाता है और तर्क नष्ट हो जाता है तो व्यक्ति का पतन हो जाता है. ……………….फोटो 28 दुमका 51 व 52प्रवचन देते महाराज और उपस्थित श्रोता.
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लोगों को दु:ख पहुंचाना सबसे बड़ा पाप : स्वामी प्रभंजनानंद प्रतिनिधि, दुमकालोगों को दु:ख पहुंचाना सबसे बड़ा पाप है. लोगों को हमेशा यह प्रयास करना चाहिए कि उनके माध्यम से किसी को कोई दु:ख न पहुंचे. बल्कि मनुष्यों को तो यह कोशिश करनी चाहिए कि वे कैसे इस संसार में फैले अंधकार रूपी अज्ञानता व […]
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