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दो दिनों तक मामले को दबाने का हुआ प्रयास

दुमका : एक छात्रा को हॉस्टल में इस तरह जलील होना पड़ा. उसकी इज्जत का मजाक बनाया गया. इसकी सूचना हॉस्टल की वार्डेन और प्रीफेक्ट को भी थी. लेकिन उन लोगों ने इस मामले में कोई हस्तक्षेप नहीं किया और न ही इतने संगीन मामले के बारे में कॉलेज प्रशासन के वरीय अधिकारियों को सूचना […]

दुमका : एक छात्रा को हॉस्टल में इस तरह जलील होना पड़ा. उसकी इज्जत का मजाक बनाया गया. इसकी सूचना हॉस्टल की वार्डेन और प्रीफेक्ट को भी थी. लेकिन उन लोगों ने इस मामले में कोई हस्तक्षेप नहीं किया और न ही इतने संगीन मामले के बारे में कॉलेज प्रशासन के वरीय अधिकारियों को सूचना दी. इस कारण शनिवार की घटना का एफआइआर सोमवार को हुआ. जिस दिन यह घटना हुई, उसी दिन कॉलेज प्रशासन गंभीर हुआ होता तो कम से कम फोटो को वायरल होने से रोका जा सकता था.

लेकिन इस पूरे मामले में कॉलेज प्रबंधन की लापरवाही उजागर हुई है. क्योंकि किसी भी कॉलेज के छात्रावास में मां-बाप बड़ी ही आशा के साथ अपने बेटियों को पढ़ने के लिए घर से बाहर भेजते हैं. हॉस्टल में छात्राओं के मां-बाप वार्डेन, प्रीफेक्ट या कॉलेज प्रशासन ही होता है. अब ये लोग ही ऐसा करने लगे तो भला बेटियों को लोग उच्च शिक्षा के लिए कैसे हॉस्टल भेजेंगे.

महिला थाना प्रभारी की भूमिका संदिग्ध : इस मामले की पड़ताल के लिए महिला थाना प्रभारी पूनम टोप्पो शनिवार को एसपी महिला कॉलेज पहुंची थी, उस दिन उन्होंने प्रभारी प्राचार्य डॉ रेणुकानाथ सहित अन्य से पूछताछ की थी. पीड़िता और कुछ अन्य छात्राओं से भी बात की गई थी, पर मामला दर्ज नहीं हुआ था. उस दिन थाने में भी कुछ छात्राओं को बुलाया गया था, पर हॉस्टल के अंदर और छात्राओं के बीच का मामला होने के कारण पुलिस ने मामले को उस वक्त संज्ञान में नहीं लिया. जिसका नतीजा है कि छात्रा की इज्जत सोशल मीडिया पर उछाली गयी.
क्या है मामला

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